प्रोटोजोआ द्वारा उत्पन्न रोग
- मलेरिया: कारक- प्लाज्माडियम। संक्रमण- मादा ऐनाफ्लीज मच्छर के काटने से। लक्षण- रोगी को कंपकंपी (ठण्ड) लगने के साथ तेज बुखार (105º-106º F) चढ़ता है।
उपचार- D.D.T., B.H.C. के छिड़काव के द्वारा मच्छरों को समाप्त किया जाना चाहिए तथा कुनैन, क्लोरोक्वीन दवा का उपयोग करना चाहिए।
- प्रोटोजोआ द्वारा उत्पन्न अन्य रोग :काला-ज्वर, पेचिश और अमीबिएसिस है।काला-ज्वर रोग वायु मक्खी (Sand fly) के काटने से होता है।पेचिश का कारक एण्टअमीबा हिस्टोलिटिका है।
- निद्रारोग (Sleeping Sickness) ट्रिपेनोसोमा नामक प्रोटोजोआ के कारण उत्पन्न होता है। यह सी-सी मक्खियों (tse-tse) के द्वारा फैलता है।
हैल्मिन्थस द्वारा उत्पन्न रोग
- फाइलेरिससिस/हाथी पावं: कारक- ऊचेरिया बैक्रोक्टाई। संक्रमण- क्यूलेक्स मच्छर से।
लक्षण – रोगाणु मनुष्य की लिम्फ ग्रन्थियों में पहुंच जाता है। इसके कारण शरीर के अंग सूचक बहुत मोटे हो जाते हैं, विशेषकर पांव तथा वृषण ग्रन्थियां। इसलिए इस रोग को हाथी पांव भी कहते हैं।
उपचार – क्यूलेक्स मच्छरों को मारने के लिए डाइएथिल कार्बेमेंजीन का प्रयोग करना चाहिए।
अन्य रोग : ऐस्केरिएसिस, टीनिएसिस, अतिसार (कारण एस्केरिस लुम्बीकाइडीज प्रोटोजोआ जो घरेलु मक्खी द्वारा प्रसारित होता है।)।
फफूंद जनित रोग : एथलीट कुट, खाज और दाद, गंजापन, दमा इत्यादि।
प्रोटीन की कमी से होने वाले रोग – क्वाशिअरिकर (फूल जाना), मेरास्मस (पतला हो जाना)।
आनुवांशिक रोग
- वर्णान्धता, हीमोफीलिया, टर्नर सिन्ड्रोम, डाउस सिन्ड्रोम, पटाऊ सिन्ड्रोम, थेलेसीमिया।
- वर्णान्धता (Colour Blindness) – इसमें रोगी को लाल एवं हरा रंग पहचानने की क्षमता नहीं होती है। इस रोग में पुरूष प्रभावित होते हैं परन्तु वाहक स्त्रियां होती हैं।
- हीमोफीलिया– इस रोग से ग्रसित व्यक्ति में रक्त का थक्का नहीं बनता है और रक्त हमेशा बहता रहता है। इसको स्त्रियां वाहक का कार्य करती है।
- टर्नर सिन्ड्रोम में गुणसूत्रों की संख्या में कमी हो जाती है।
- डाउन्स सिन्ड्रोम (मंगोलिज्म) में गुणसूत्रों की संख्या में वृद्धि अर्थात् 46 की जगह 47 हो जाती है।
- पटाऊ सिन्ड्रोम में रोगी का ऊपर का होठ बीच में कट जाता है।
- थेलेसीमिया में शरीर में रक्त की भारी कमी हो जाती है।