संक्रामक वाइरस जनित रोग
- एड्स (AIDS): कारक- HIV (Human Immuno Deficiency Virus)। संक्रमण- रूधिर आदान-प्रदान, यौन सम्बन्ध व संक्रमित सीरिज से। लक्षण- इसका प्रभाव श्वेत रूधिर कणिकाओं (T लिम्फोसाइट) पर पड़ता है, जिससे रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाती है। उपचार- बचाव ही उपचार है।
- पोलियो: कारक- पोलियो वाइरस। संक्रमण- जल एवं भोजन द्वारा। लक्षण- विषाणु मेरूरज्जु में पहुंचकर तंत्रिका तंत्र को निष्क्रिय कर देते हैं। बच्चे विकलांग हो जाते हैं। उपचार- पोलिया का टीका शिशु जन्म के 6 माह बाद लगाना चाहिये।
- इन्फ्लुएन्जा (फ्लू): कारक- मिक्सोवाइरस इन्फ्लुऍजाइ। संक्रमण- थूंक, कफ द्वारा। यह वायु संवाहित रोग है। लक्षण- खांसी, बलगम, छींक, ज्वर तथा सिरदर्द। उपचार- एण्टीबायोटिक दवाईयां।
- चेचक (Small Pox)/बड़ी माता: कारक- वैरिओला विषाणु। संक्रमण- वायु द्वारा या रोगी से सीधे सम्पर्क द्वारा। लक्षण- तीव्र बुखार तथा 3-4 दिनों बाद शरीर पर लाल दाने उभर आते हैं। उपचार- शिशुओं को तीन से छः महीने के भीतर टीका लगवा देना चाहिये।
- छोटी माता (Chicken Pox) : कारक- वैरिसेला विषाणु। संक्रमण- यह रोगी की श्वास या छींकों द्वारा प्रसारित होता है। लक्षण- हल्के बुखार के साथ, शरीर पर छोटे-छोट दाने निकल आते हैं। उपचार- रोगी को स्वच्छ वातावरण में रखना चाहिए।
- खसरा (Measles) : कारक- मोर्बैली विषाणु। संक्रमण- यह वायु वाहित रोग है। इस रोग के विषाणु नाक से स्राव द्वारा फैलते हैं। लक्षण- प्रारम्भ में नाक व आंख से पानी बहता है, 3-4 दिन बाद शरीर पर लाल दाने हो जाते हैं। उपचार- हल्का भोजन तथा उबला पानी पीना चाहिए।
- रेबीज: कारक- रेबीज विषाणु। संक्रमण- पागल कुत्ते, बिल्ली या बंदर के काटने से होता है। लक्षण- रोगी पागल हो जाता है, जल से डरने लगता है। इसे हाइड्रोफोबिया भी कहते हैं। उपचार- रेबीज रोधी टीका लगाना चाहिए।
- पीलिया (Jaundice) या हिपैटाइटिस: यह दो प्रकार का होता है। हिपैटाइटिस A तथा हिपैटाइटिस B।
कारक – हिपैटाइटिस विषाणु व शरीर में बिलिरूबिन नामक पदार्थ के सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्रित होने की वजह से होता है।
संक्रमण – खाने की वस्तुओं द्वारा (Type-A), रूधिर आधार पर (Type-B)
लक्षण – आंखे और त्वचा पीली हो जाती है, पैशाब भी पीला हो जाता है। झिल्ली की कार्य क्षमता घट जाती है खून में पित्त बढ़ जाता ह। भूख नहीं लगती है।
उपचार – लिवर के इन्जेक्शन, दही, गन्ने का सेवन, छेने हुए खाद्य पदार्थ (रसगुल्ले) तथा पूर्ण आराम करना चाहिए।
विषाणु जनित अन्य रोग :
- डेंगू ज्वर या हड्डी तोड़ बुखार, ट्रेकोमा (आंख में सूजन)।
- गलसुआ भी एक विषाणु हनित रोग है, जो जीवन में एक ही बार होता है।
- मेनिन्जाइटीस एक वायरस जनित बीमारी है, जिसमें मस्तिष्क प्रभावित होता है।