विशेष तथ्य :-
- मरुस्थल के प्रकार–
- इर्ग– रेतीला मरुस्थल।
- हम्माद–पथरीलामरुस्थल।
- रैग–मिश्रितमरुस्थल।
- राजस्थान का एकमात्र जीवाश्म पार्क–आकलगाँव (जैसलमेर) है।
- उत्तर-पश्चिमी मरूस्थली भाग अरावली का वृष्टि छाया प्रदेश होने के कारण दक्षिणी-पश्चिमी मानसून व बंगाल की खाड़ी का मानसून यहाँ वर्षा नहीं करता, इसलिए इस क्षेत्र में वर्षा का औसत 20 सेमी. से 50 सेमी. रहता है।
- उदयपुर जिले के उत्तरी भाग अरावली श्रेणी के पश्चिमी उप-पर्वतीय खण्ड द्वारा तथा इसके परे 50 सेमी. की वर्षा रेखा तथा महान भारतीय जल विभाजक द्वारा उत्तरी-पश्चिमी रेगिस्तान की पूर्वी सीमा बनती है।
- न्यूनतम जनसंख्या घनत्व भी इसी भौतिक विभाग में है।
- राजस्थान में वायु अपरदन (मिट्टी का कटाव) से प्रभावित भूमि का क्षेत्रफल सबसे अधिक है। वायु द्वारा सर्वाधिक अपरदन पश्चिमी राजस्थान में होता है।
- विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या वाला मरूसथल ।
- सेवण घास (लसियुरूस सिडीकुम) का उत्पादन क्षेत्र।
- रेतीले शुष्क मैदान और अर्द्ध शुष्क मैदान को 25 सेमी. वर्षा रेखा विभाजित करती है।
- रेतीली सतहों से बाहर निकली प्राचीन चट्टानों से मरूस्थलीय प्रदेश भारत के प्रायद्वीपीय खण्ड का पश्चिमी विस्तार प्रतीत होता है।
- मध्यवर्ती अरावली पर्वतीयप्रदेश
- क्षेत्रफल–राज्य के भू-भाग का लगभग 9.3% पर पहाड़ी प्रदेश है। लेकिन 9% के लगभग भाग पर मुख्य अरावली पवर्तमाला विस्तरित है।
- अंक्षाशीय विस्तार 23°20′ से 28°20′ उत्तरी अक्षांश
- देशांतर विस्तार 72°10′ से 77° पूर्वी देशांतर
- क्षेत्र–उदयपुर, चित्तौड़गढ़, राजसमन्द, डूँगरपुर, भीलवाड़ा, सीकर, झुंझुनूँ, अजमेर, सिरोही, अलवर तथा पाली व जयपुर के कुछ भाग।
- जनसंख्या–राज्य की लगभग 10%। 13 जिले – मुख्य रूप में 7 जिलों में विस्तार
- वर्षा–50 सेमी. से 90 सेमी.। अरावली पर्वत माला राज्य में एक वर्षा विभाजक रेखा का कार्य करती हैं। राज्य का सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान माउण्ट आबू (लगभग 150 सेमी.) इसी में स्थित हैं
- जलवायु–उपआर्द्र जलवायु।
- मिट्टी–काली, भूरी, लाल व कंकरीली मिट्टी।
- अमेरिका के अप्लेशियन पर्वत के समान
- अरावली पर्वत शृंखला गौंडवाना लैंड का अवशेष है। इसके दक्षिणी भाग में पठार, उत्तरी भाग में मैदान एवं पश्चिमी भाग में मरुस्थल है।
- अरावली पर्वत श्रेणी राजस्थान को दो भागों में बांटती है, राजनीतिक दृष्टि से राजस्थान के 33 जिलों में से अरावली पर्वत श्रेणी के पश्चिम में 13 जिले तथा पूर्व में 20 जिले हैं।
- अरावली वलित पर्वतमाला है। प्री-कैम्ब्रियन युग में निर्मित।
- ‘रेगिस्तान का मार्च‘ (March to Desert) से तात्पर्य है-रेगिस्तान का आगे बढ़ना।
- अरावली पर्वत शृंखला की कुल लम्बाई 692 किमी. है। अरावली खेड़ ब्रह्मा (पालनपुर, गुजरात) गुजरात राजस्थान, हरियाणा से होते हुई दिल्ली में रायसिना हिल्स (राष्ट्रपति भवन) तक विस्तृत है।
- राजस्थान में अरावली शृंखला की लम्बाई 550 किमी. है। (180%)
– राजस्थान में अरावली शृंखला सिरोही से खेतड़ी (झुंझुनूँ) के उत्तर पूर्व की ओर फैली हुई है।
- यह पर्वत श्रेणी राज्य में विकर्ण के रूप में द. – प. में उ. – पू. की और विस्तृत है।
- अरावली की चौड़ाई उदयपुर और डूंगरपुर की तरफ दक्षिण पूर्व में से बढ़ने लगती है।
- अरावली पर्वतमाला के उत्तरी और मध्यवर्ती भाग क्वार्टजाइट चट्टानों से बने हैं। जबकि दक्षिण में आबू के निकट ऊँचे पर्वतीय खंड ग्रेनाइट चट्टानों के बने हुए हैं।
- राजस्थान में कम वर्षा होने का प्रमुख कारण–अरावली पर्वत शृंखला का मानसून पवनों के समानान्तर होना।
- विश्व की प्राचीनतम वलित पर्वत शृंखला अरावली है। अरावली पर्वत शृंखला धारवाड़ समय के समाप्त होने तक तथा विन्ध्यन काल के प्रारम्भ तक अस्तित्व में आई थी।
- अरावली पर्वत का सर्वाधिक महत्व–उत्तर–पश्चिम में फैले विशाल थार के मरूस्थल को दक्षिण-पूर्व की ओर बढ़ने से रोकना।
- अरावली पर्वतमाला की औसत ऊँचाई – 930 मीटर।
- अरावली को अध्ययन के आधार पर चार भागों में बांटा जाता है।
- आबू पर्वत खंड
- मेवाड़ पहाड़ियां
- मेरवाड़ पहाड़ियां
- उत्तरी-पूर्वी पहाड़ियां या शेखावाटी पहाड़ियां।
- अरावली पर्वत शृंखला की सबसे ऊँची चोटी गुरूशिखर (1722 मीटर/5650 फीट, माउण्ट आबू, सिरोही) है, जिसे कर्नल जेम्स टॉड ने ‘सन्तों का शिखर‘ कहा है।