(A) रेतीला शुष्क मैदान (B) राजस्थान बाँगर (अर्द्ध शुष्क राजस्थान)
(A) रेतीला शुष्क मैदान : रेतीला शुष्क प्रदेश को दो भागों में बांटा गया है-
- पश्चिमी रेतीला मैदान2. शुष्क मरूस्थली
- बालूका स्तूप मुक्त प्रदेश –यह प्रदेश जैसलमेर में रामगढ़ से पोकरण के बीच स्थित है। अवसादी चट्टानों का बाहुल्य लाठी सीरिज क्षेत्र (भूगर्भीय जल पट्टी) एवं आकलवुड फॉसिल पार्क (जीवाश्म अवशेष हेतु प्रसिद्ध) इस प्रदेश में है। 1. प. राजस्थान के रेतीले मैदानका 41.5 % क्षेत्र बालूका स्तूप मुक्त प्रदेश है।
- शुष्क मरूस्थली –यह प्रदेश 25 सेमी. वर्षा रेखा द्वारा अर्द्ध शुष्क राजस्थान से विभाजित है। मरूस्थल में पायी जाने वाली भौतिक विशेषताएँ :-
क. बालुका स्तूप
ख. रण
ग. खड़ीन
क. बालुका स्तूप –
बालुका स्तूपों के प्रकार –
अ) बरखान–सर्वाधिक गतिशील अर्द्धचन्द्राकार स्तूप जिनसे सर्वाधिक हानि होती है। सर्वाधिक–शेखावाटी क्षेत्र में लेकिन पश्चिमी राजस्थान में जैसलमेर में अधिक है।
ब) अनुदैर्घ्य–पवनों की दिशा में समानांतर बनने वाले स्तूप।
सर्वाधिक–जैसलमेर में।
स) अनुप्रस्थ–पवनों की दिशा में समकोण बनने वाले स्तूप।
सर्वाधिक–बाड़मेर में।
तारा बालुका स्तूप:- माहनगढ़, पोकरण (जैसलमेर), सूरतगढ़।
- जोधपुर में तीनोंप्रकार के बालुका स्तूप देखने को मिलते है।
- जैसलमेर जिले में स्थानान्तरित होने वाले बालूका स्तूपों को स्थानीय भाषा मेंधरियन कहते हैं।
- राजस्थान में पूर्ण मरूस्थल वाले जिलेजैसलमेर, बाड़मेर हैं।
- धोरे–रेगिस्तानमें रेत के बड़े-बड़े टीले, जिनकी आकृति लहरदार होती है, धोरे कहलाते हैं।
ख. रन –
- मरुस्थल में बालुका स्तूपों के बीच में स्थित निम्न भूमि में वर्षा का जल भर जाने से अस्थायी झीलों व दलदली भूमि का निर्माण होता है, इसे रन कहते हैं। ‘रन‘ को ‘टाट‘ भी कहते हैं। कनोड़, बरमसर, भाकरी, पोकरण (जैसलमेर), लावा, बाप (जोधपुर), थोब (बाड़मेर) प्रमुख रन क्षेत्र हैं।
ग. खड़ीन –
- खड़ीन– मरूभूमि में रेत ऊँचे-ऊँचे टीलों के समीप कुछ स्थानों पर नीचे गहरे भाग बन जाते हैं जिसमें बारीक कणों वाली मटियारी मिट्टी का जमाव हो जाता है जिन्हें खड़ीन कहा जाता है।
(B) राजस्थान बाँगर (अर्द्ध शुष्क राजस्थान) : राजस्थान बाँगर को भी चार लघु प्रदेशों में बांटा गया है-
- घग्घर क्षेत्र–हनुमानगढ़,गंगानगर का क्षेत्र।
- घग्घर नदी के पाट को नाली कहते हैं।
- आन्तरिक जल प्रवाह–शेखावाटी क्षेत्र। (सीकर, चुरू, झुझुंनू व उत्तरी नागौर)
- जोहड़ – शेखावटी क्षेत्र में कुओं को स्थानीय भाषा में जोहड़ कहा जाता है।
- बरखान बालुका स्तूप की अधिकता।
- नागौरी उच्च प्रदेश।
- राजस्थान के दक्षिण-पूर्व में अति आर्द्र लूनी बेसिन तथा उत्तर-पूर्व में शेखावाटी शुष्क अन्तर्वर्ती मैदान के बीच का प्रदेश नागौरी उच्च भूमि नाम से जाना जाता है।
- गोंडवाड़–या लूनी बेसिन प्रदेश।
- लूनी व उसकी सहायक नदियाें का प्रवाह क्षेत्र
- जिले – जालौर, पाली, सिरोही एवं दक्षिण पूर्व बाड़मेर
- सांभर, डीडवाना, पचपदरा इत्यादि खारे पानी की झीलें टेथिस सागर का अवशेष है।
- सर्वाधिक खारे पानी की झीलें नागौरी उच्च प्रदेश के अन्तर्गत आती हैं।
- पीवणा–राजस्थान के पश्चिमी भाग में पाये जाने वाला सर्वाधिक विषैला सर्प।
- चान्दन नलकूप (जैसलमेर)– थार का मीठे पानी का घड़ा।