यांत्रिक ऊर्जा के उदाहरण –
लुढ़कती हुई गेंद, चलती हुई साइकिल, दबी या खींची हुई स्प्रिंग, गुलेल, तीर-कमान, बंध का पानी, बहता हुआ पानी, घूमता हुआ पंखा, हिलता हुआ झूला।
(2) ऊष्मा ऊर्जा –
- इऔधन को जलाने से एवम् सूर्य से हम ऊष्मा ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
उपयोग –
- भोजन बनाने में, पानी व वस्तुओं को गर्म करने में, गीले कपड़ों को धूप में सुखाने में, भाप इंजन चलाने में, लकड़ी के पहिये पर लोहे का साल चढ़ाना।
- इऔधन में रसायनिक ऊर्जा संचित रहती है।
(3) प्रकाश ऊर्जा –
- प्रकाश ऊर्जा हमें सूर्य, जलते हुए बल्ब, मोमबत्ती, दीपक, लालटेन से प्राप्त होती है। वस्तुओं को देखने में प्रकाश ऊर्जा का उपयोग होता है।
(4) विद्युत ऊर्जा –
- यह हमें विद्युत जनित्र/डायनेमो, बैटरी एवम् सैल से प्राप्त होती है।
- इसका उपयोग विद्युत उपकरण चलाने में एवम् छोटी-छोटी मशीनों से लेकर बड़े-बड़े कारखाने चलाने में करते हैं।
(5) चुम्बकीय ऊर्जा –
- इसकी सहायता से वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाते हैं।
(6) परमाणु ऊर्जा –
- परमाणु के टूटने से ऊर्जा उत्पन्न होती है। राजस्थान में रावतभाटा में परमाणु ऊर्जा के उपयोग से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जा रही है।
(7) ध्वनि ऊर्जा –
- वाद्य यंत्रों को बजाने पर ध्वनि ऊर्जा उत्पन्न होती है।
(8) जीवाश्म ऊर्जा –
- लाखों वर्ष पूर्व पृथ्वी की भूगर्भ हलचल के कारण अनेक जीव-जंतु व पेड़-पौधे भूमि में दब गए तथा उच्च दाब व ताप के कारण ये पेट्रोलियम व खनिज कोयले में बदल गए। इन पदार्थ़ों में रासायनिक ऊर्जा होती है।
(9) सौर ऊर्जा –
- सूर्य ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। सूर्य से पृथ्वी पर सौर ऊर्जा का उपयोग पौधों द्वारा भोजन बनाने में, अनाज सुखाने में, पानी गर्म करने में, सौलर सेल द्वारा विद्युत ऊर्जा बनाने में एवम् कृत्रिम उपग्रहों को सक्रिय रखने में किया जाता है। मथानिया (जोधपुर) में सौर-विद्युत ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया जा रहा है।
(10) पवन ऊर्जा –
- वायु की गतिज ऊर्जा को ही पवन ऊर्जा कहते हैं। इसका उपयोग पवन चक्की चलाने में, गेहूँ से भूसे को अलग करने में, समुद्रों में पालदार नौकाएं चलाने में किया जाता है।
(11) जल ऊर्जा –
- बहते हुए जल की गतिज ऊर्जा को जल ऊर्जा कहते हैं। जल ऊर्जा का उपयोग टरबाइन चलाकर विद्युत उत्पन्न करने में, लकड़ी के लट्ठे बहाकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने में करते हैं।
(12) जैव मात्रा (बायोमास) ऊर्जा –
- कूड़ा-करकट, रद्दी सामान, फसलों के डण्ठल, भूसी, लकड़ी, पत्ते, जैव मल आदि को बायोमास कहते हैं। इसका उपयोग उष्मा उत्पन्न करने एवम् गोबर गैस बनाने में करते हैं। बायोमास से बायो गैस बनाकर पर्यावर प्रदूषण की समस्या को भी हल किया जा सकता है।
(13) महासागरीय ऊर्जा –
- चन्द्रमा व सूर्य के गुरूत्वाकर्षण बल के कारण ज्वार भाटा आता है। जिसमें ऊर्जा होती है।
(14) भूगर्भीय ऊर्जा –
- पृथ्वी के अन्दर जाने पर ताप में वृद्धि होती है। इसे भूतापीय या भूगर्भीय ऊर्जा कहते हैं। भूगर्भ में यह ऊर्जा गर्म जल धाराओं के रूप में प्रकट होती है। इस ऊर्जा से जलवाष्प बनाकर विद्युत उत्पन्न की जाती है।
- ऊर्जा का एक रूप से दूसरे रूप में बदलना ऊर्जा रूपान्तरण कहलाता है।
- ऊर्जा संरक्षण के नियम के अनुसार ऊर्जा केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपान्तरित हो सकती है न तो इसकी उत्पत्ति की जा सकती है और न ही विनाश। ऊर्जा रूपान्तरण के पहले व रूपान्तरण के पश्चात्, कुल ऊर्जा सदैव अचर/अपरिवर्तित रहती है। प्रेसकॉट जूल ने इस नियम का सत्यापन किया।