चौहान वंश
(शाकम्भरी एवं अजमेर के चौहान)
- चौहानों का प्रारम्भिक राज्य नाडोल (पाली) था।
- पृथ्वीराज रासो में चौहानों को ‘अग्निकुण्ड’ से उत्पन्न बताया गया।
- पं. गौरीशंकर हीराचंद ओझा चौहानों को सूर्यवंशी मानते हैं। पृथ्वीराज विजय एवं हम्मीर महाकाव्य ग्रन्थ में भी इन्हें सूर्यवंशी माना है।
- कर्नल टॉड ने चौहानों को विदेशी (मध्य एशियाई) माना है।
- डॉ. दशरथ शर्मा बिजोलिया लेख के आधार पर चौहानों को ब्राह्मण वंशी मानते हैं।
- चौहानों का मूल स्थान जांगलदेश मे शाकम्भरी (सांभर) के आसपास सपादलक्ष माना जाता है- इनकी राजधानी अह्छित्रपुर (नागौर) थी।
- शाकम्भरी के चौहान वंश का संस्थापक वासुदेव को माना जाता है जिसने 551 ई. के आसपास राज्य स्थापित किया।
- सांभर झील का निर्माण वासुदेव द्वारा करवाया गया।
प्रमुख चौहान शासक
अजयराज
- यह पृथ्वीराज प्रथम का पुत्र था।
- इसने 1113 ई. मे अजयमेरू (अजमेर) नगर बसाया।
- इसी नगर को राजधानी बनाया एवं इसमें तारागढ़ नामक दुर्ग बनाया।
- इसने दिगम्बरों व श्वेताम्बरों के मध्य शास्त्रार्थ की अध्यक्षता की थी।
अर्णोराज
- तुर्क आक्रमणकारियों को बुरी तरह हराया
- अजमेर में आनासागर झील का निर्माण करवाया।
- इसने चौलुक्य जयसिंह की पुत्री कांचन देवी से विवाह किया था।
- अर्णोराज शैव मतावलम्बी था।
विग्रहराज चतुर्थ (बीसलदेव/कवि बांधव) (1158-1163 ई.)
- विग्रहराज चतुर्थ, जिसे बीसलदेव भी कहा जाता है शाकम्भरी व अजमेर का महान् चौहान शासक था।
- उसका शासनकाल सपादलक्ष का स्वर्णयुग माना जाता है।
- इसने ढिल्लिका (दिल्ली) के तोमर शासक को हराकर अपने अधीन सामन्त बना लिया।
- उसने संस्कृत भाषा मे ‘हरिकेली’ नामक नाटक की रचना की।
- हरिकेली नामक नाटक की विषय वस्तु में अर्जुन व शिव के मध्य युद्ध का वर्णन है।
- नरपति नाल्ह द्वारा रचित ग्रंथ ‘बीसलदेव रासो’ में रानी राजमती के कहने पर बीसलदेव द्वारा उड़ीसा के राजा से हीरे लाने का प्रसंग का सौन्दर्यात्मक वर्णन किया है। यह एक श्रेष्ठ शृंगार काव्य है।
- समकालीन लोग इसे ‘कवि बान्धव’ नाम से पुकारते थे।
- सोमदेव बीसलदेव का दरबारी कवि था, जिसने ‘ललित विग्रहराज’ ग्रंथ की रचना की।
- उसने अजमेर मे संस्कृत विद्यालय की स्थापना की जिसे बाद मे कुतुबुद्दीन ऐबक ने तोड़कर कर ‘ढाई दिन का झोपड़ा‘ बनवा दिया।
- उसने बीसलपुर नामक कस्बे व झील का निर्माण करवाया।
- इसने एकादशी के दिन पशु वध पर प्रतिबंध लगाया।
पृथ्वीराज तृतीय (राय पिथौरा) (1177-1192 ई.)
- पृथ्वीराज प्रतापी राजा व श्रेष्ठ सेनानायक था।
- उसके पिता का नाम सोमेश्वर व माता का नाम कर्पुरी देवी था।
- पिता की मृत्यु के बाद उसने 11 वर्ष की आयु में अजमेर का शासन संभाला।
- कन्नौज के राजा जयचंद गहड़वाल के साथ उसके कटुतापूर्ण सम्बन्ध थे।
- जयचंद की पुत्री संयोगिता को स्वयंवर से उठाकर वह अजमेर ले आया और उससे विवाह किया।
- तराईन के प्रथम युद्ध – 1191 ई. मे उसने तुर्क आक्रमणकारी मुहम्मद गोरी को बुरी तरह हराया।
- तराईन के द्वितीय युद्ध – 1192 ई. मे वह मुहम्मद गोरी से हार गया।
- हसन निजामी के ताजुल मासिर के अनुसार गौरी द्वारा पृथ्वीराज को कैद किया गया व सुल्तान के विरूद्ध षड़यंत्र करते पाया गया तो उसकी हत्या कर दी गयी।
- आल्हा व उदल महोबा के चंदेल शासक परमर्दीदेव के सेनानायक थे। दोनों वीर, साहसी थे एवं 1182 ई. में महोबा के युद्ध में पृथ्वीराज के विरुद्ध लड़ते हुए शहीद हुए।
- ‘पृथ्वीराज रासो‘ के रचयिता चन्दवरदाई थे। इस ग्रंथ को चन्दवरदाई के पुत्र जल्हण ने पूरा किया।
रणथम्भौर के चौहान
- रणथम्भौर के चौहान वंश की स्थापना पृथ्वीराज के पुत्र गोविन्द राज ने की।
- रणथम्भौर की चौहान शाखा का सबसे प्रतापी शासक हम्मीर देव (1282-1301 ई) था। उसने 17 युद्ध लड़े जिसमे 16 में विजित रहा।
- सन् 1291 ई. में उसने जलालुद्दीन खिलजी के आक्रमण को विफल किया।
- जलालुद्दीन ने 1292 में रणथम्भौर को जीतने का दुसरा असफल प्रयास किया।
- उसने अलाउद्दीन खिलजी के विद्रोही सेनानायक मुहम्मदशाह को शरण दी अतः अलाउद्दीन खिलजी ने रणथम्भौर पर 1301 ई. मे आक्रमण कर दिया।
- हम्मीर लड़ता हुआ मारा गया, पत्नी रंगदेवी ने जौहर किया। यह राजस्थान का प्रथम साका था।
- हम्मीर अपनी वीरता के साथ-साथ हठ के लिए भी प्रसिद्ध है।