राजस्थान सामान्य ज्ञान : पाचन तंत्र

मनुष्य में पाचन (Disgestive System)
पाचन तंत्र :
• सामान्य मानव की आहारनाल की लम्बाई 28-33 फीट की होती है।
• आहारनाल के प्रमुख भाग मुखगुहा, ग्रासनली, आमाशय एवं आंत होते हैं।
• दोनों जबड़ों के मध्य में स्थित गुहा को मुखगुहा कहते हैं। मनुष्य के जबड़ों में कुल 32 दांत होते हैं।
• मनुष्य के एक जबड़े में 4 कृतनक (Incisors), 2 रदनक (Canines), 4 अगचवर्णक (Premolars) तथा 6 चवर्णक (Molars) दाँत पाये जाते हैं।
• कृतनक सबसे आगे चपटे और धारदार होते हं, ये भोजन को काटने का कार्य करते हैं।
• रदलक नुकीले होते हैं, जो भोजन को चीरते हैं।
• अग्रचवर्णक व चवर्णक भोजन को पीसते हैं।
• दूध के दाँत 20 होते हैं।
• दांत के ऊपरी भाग को इनैमल कहते हैं, जो शरीर का सबसे कठोर भाग होता है।
• मुखगुहा के फर्श पर एक मोटी व मांसल जिव्हा पायी जाती है जो भोजन चबाने एवं उसके लार मिश्रित करने में मदद करती है।
• जिव्हा के अग्र भाग से मीठे स्वाद का, पीछे के भाग से कड़वे स्वाद का तथा बगल के भाग से खट्टे स्वाद का आभास होता है।
• ग्रासनली एक लम्बी नली होती है, जो आमाशय में खुलती है। इसकी दीवार पेशीय व संकुचनशील होती है, जिसकी सहायता से भोजन आगे बढ़ता है।
• आमाशय में जठर रस का स्त्रावण होता है जिसमें HCl, रेनिन व पेप्सिन एन्जाइम पाए जाते हैं। आमाशय में भोजन लुगदी के समान हो जाता है। आमाशय से भोजन छोटी आँत में जाता है।
• छोटी आंत का प्रारम्भिक भाग ‘U’ तरह मुड़ा रहता है, जिसे ग्रहणी या पक्वाशय कहते हैं। शेष भाग इलियम कहलाता है। ग्रहणी तथा अमाशय के मोड़ के मध्य अग्नाशय पाया जाता है।
• छोटी आंत पचे हुए भोजन का अवशोषण करती है
• बड़ी आंत में अपशिष्ट पदार्थ़ों का जलीय अपघटन होता है। बाद में अपशिष्ट पदार्थ मल द्वारा द्वारा बाहर निकल जाते हैं।

पाचन का सारांश
अभिक्रिया स्थल पाचक द्रव अभिक्रिया स्रावित एन्जाइम परिवर्तन/अभिक्रिया
मुँह लार क्षारीय टायलिन पके स्टार्च का विलय शर्करा (माल्टोज) के रूप में परिवर्तन।
आमाशय जठर रस अम्लीय रेनिन, पेप्सिन, लाइपेज, HCl केसिनोजिन का कैसिन में परिवर्तन, प्रोटीन का पेप्टोन्स में रूपान्तरण, वसा का आंशिक रूप से जल अपघटन करना रोगाणु को नष्ट करना।
पक्वाशय(यकृत) पित (Bile) क्षारीय एन्जाइम नहीं अग्नाशयिक एन्जाइमों की क्रिया में मदद करना, वसा को इमल्सीकृत करना।
अग्नाशय(Pancreas) अग्नाशयिक रस क्षारीय ट्रिप्सिन प्रोटीन और पेप्टोन को पैलिपेप्टाइड और अमीनो अम्ल में परिवर्तन।
एमाइलेज सभी शर्कराओं और स्टार्च़ों का माल्टोज में परिवर्तन।
लाइपेज वसा का ग्लिसरॉल और वसा अम्ल में परिवर्तन।
छोटी आंत आन्त्ररस क्षारीय माल्टेज, शुक्रेज ,लेक्टेज माल्टोज का पाचन, शुक्रोज का पाचन तथा लेक्टोज का पाचन शर्करा में करता है।
इरेप्सिन प्रोटीन का पाचन अमीनो अम्ल में होता है।
• नोट- यकृत द्वारा पित्त रस (bile) का स्रवण होता है, जो पिताशय/ग्रहणी में जमा रहता है।
• एन्जाइम सरल प्रोटीन्स होते हैं।

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page