जैसलमेर के प्रमुख पर्यटन स्थल –
(a) जैसलमेर दुर्ग (सोनारगढ़) –
- जैसलमेर दुर्ग का निर्माण 12 वीं शताब्दी में हुअा।
- इसका निर्माण कार्य रावल जैसल सिंह ने प्रारम्भ करवाया जिसे उनके उत्तराधिकारी शालिवाहन ने पूर्ण करवाया।
- जैसलमेर दुर्ग पीले पत्थरों के विशाल शिलाखण्डों से निर्मित है।
- इस पूरे दुर्ग का निर्माण पत्थर पर पत्थर जमाकर व फंसाकर किया गया है।
- इसके सोने जैसे पीले रंग के कारण ही इसे सोनारगढ़ कहा जाता है।
- इस दुर्ग में 99 बुर्ज हैं।
- इस दुर्ग मेंविलास महल, रंगमहल, राजविलास तथा मोती महल आदि की भित्ति चित्रकारी उत्कृष्ट है।
- यहाँ पर जैन ग्रंथों का संग्रहालय भी स्थित है।
(b) पटवों/पटुओं की हवेली –
- पटवों की हवेली का निर्माण जैसलमेर के बड़े व्यापारी गुमानचन्द पटवा ने 1805 ई. में करवाया था। जैसलमेर के पटवा सेठाें ने इस काल में 4 हवेलियांे का निर्माण करवाया था इसलिए इन्हें पटवों/पटुओं की हवेली के नाम से जाना जाता है।
- इन हवेलियों की खिड़कियाँ, झरोखें व मेहराब स्थापत्य कला की दृष्टि से आकर्षक व कलात्मक है।
जैसलमेर में अन्य प्रमुख पर्यटन स्थल –
- गड़ी सागर तालाब, मरु राष्ट्रीय उद्यान, अमरसर तालाब, बाघ की छतरी आदि।
(12) जाेधपुर –
- जोधपुर नगर राठौड़ राजा राव जोधा द्वारा 1459 ई. में बसाया गया था।
- जोधपुर को आधुनिक नगर का स्वरूप देने का श्रेय महाराजा उम्मेद सिंह को जाता है।
जोधपुर के प्रमुख पर्यटन स्थल –
(a) मेहरानगढ़ दुर्ग –
- जोधपुर के मेहरानगढ़ दुर्ग का निर्माण चिड़ियाटुंक पहाड़ी पर किया गया है।
- इस किले की नींव 12 मई, 1459 ई. को राव जोधा ने डाली थी जिसे महाराजा जसवन्त सिंह (1638 ई. – 1678 ई.) ने पूर्ण करवाया था।
- राव जोधा, महाराजा रणमल का पुत्र था।
- इस दुर्ग में कुल सात द्वार है जिसे पोल कहा जाता है।
- इस दुर्ग में चामुण्डा माता का मन्दिर स्थित है जो राठौड़ों की कुल देवी है।
- इस दुर्ग में प्रमुख महल – मोती महल, फूल महल, मान महल।
(b) जसवंतथड़ा –
- यह सफेद संगमरमर से निर्मित स्मारक है जिसे जोधपुर के महाराजा जसवन्त सिंह की स्मृति में बनाया गया।
- इसका निर्माण 1899 ई. में जोधपुर के महाराजा सरदार सिंह द्वारा करवाया गया था।
- यह स्थान जोधपुर के राजपरिवार के सदस्यों के लिए दाह संस्कार के लिए सुरक्षित रखा गया है।
- इस स्मारक हेतु मकराना के सफेद संगमरमर का प्रयोग किया गया है।
- इसमें जोधपुर के स्वर्गीय नरेशों की आदमकद प्रतिमाएँ स्थित हैं।
- इसे राजस्थान का ताजमहल कहते है।
(c) उम्मेद भवन (छीतर पैलेस) –
- इसका निर्माण जोधपुर के महाराजा उम्मेद सिंह ने करवाया था।
- यह बालु पत्थर से निर्मित स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है।
(d) बालसमन्द झील –
- इस झील का निर्माण बालक राव द्वारा करवाया गया था। यह एक प्राकृतिक स्थल, सुन्दर उद्यान तथा इसमें एक महल भी है।
(e) मण्डोर –
- राव जोधा द्वारा जोधपुर किले की नींव रखने से पूर्व तक मण्डोर मारवाड़ की राजधानी था।
- यहाँ पर जोधपुर के प्राचीन राजाओं की छतरियाँ स्थित है।
- मण्डोर उद्यान में‘वीरों की गैलरी’ बनी हुई है जिसमें 16 आदमकद प्रतिमाएं लगी हुई है, जो पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र है।
(f) ओसियां –
- जोधपुर में स्थित ओसियां कस्बा वैष्णव तथा जैन मन्दिरों के लिए प्रसिद्ध है।
- यहाँ पर निर्मित हरिहर के तीन मन्दिर खजुराहाे के समान प्रसिद्ध है।
- यहाँ स्थित सच्चियाय माता का मन्दिर पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र है जिसका निर्माण 9 वीं या 10 वीं सदी में करवाया गया था।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
– राज्य का पहला हैगिंग ब्रिज :- कोटा में (चम्बल नदी पर) 29 अगस्त, 2017 को उद्घाटन। ऊँचाई :- 60 मीटर
– देश का पहला ‘स्कूल ऑफ वास्तु’ :- पुष्कर में।
– जौहर मैला :- चित्तौड़गढ़ में (चैत्र कृष्णा एकादशी)।
– देश की पहली जिओ हैरिटेज साइट :- रामगढ़ क्रेटर (बारां)।
– ट्राइबल म्यूजियम :- जयपुर।
– विभूति पार्क :- उदयपुर में फतहसागर झील के किनारे।
– राजस्थान के 6 दुर्ग (चित्तौड़गढ़, कुम्भलगढ़, गागरोण, आमेर, रणथम्भौर, जैसलमेर) 2013 ई. में तथा कालबेलिया नृत्य 2010 में तथा केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को 1985 ई. में यूनेस्को की विरासत सूची में शामिल किये जा चुके हैं।
– बाकू (अजरबैजान) में 30 जून से 10 जुलाई तक चली यूनेस्को की 43वीं बैठक में वास्तुकला की शानदार विरासत और जीवंत संस्कृति के लिए मशहूर जयपुर शहर को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल कर लिया है। अहमदाबाद के बाद इस तरह की पहचान पाने के साथ जयपुर देश का दूसरा शहर बन गया है। भारत में अब 38 विरासत स्थल हैं। अहमदाबाद को 2017 में शामिल किया गया था।
– टाइगर सफारी पार्क :- आमली (टोंक)।
– मीरा संग्रहालय :- उदयपुर में।
– पर्यटन मंत्रालय द्वारा “हुनर से रोजगार’ कार्यक्रम वर्ष 2009-10 में प्रारम्भ किया गया।
– “पधारो सा’ योजना :- जून 2011 में प्रारम्भ।
– राज्य का पहला टूरिज्म कन्वेंशन सेन्टर :- जोधपुर।
– पेइंग गेस्ट योजना :- 27 सितम्बर, 1991 को शुरू।
– राजस्थान का प्रथम हैरिटेज होटल :- अजीत भवन (जोधपुर)।
– पर्यटन विकास हेतु राजस्थान को 10 पर्यटन क्षेत्रों (सर्किट) में विभाजित किया गया हैं – ढूंढाड़ सर्किट, अलवर सर्किट, भरतपुर सर्किट, मेरवाड़ा सर्किट, शेखावटी सर्किट, मरु त्रिकोण, मेवाड़ सर्किट, रणथम्भौर सर्किट, माउंट आबू सर्किट, हाड़ौती सर्किट।
– स्वर्णिम त्रिभुज :- दिल्ली – जयपुर – आगरा।
– मरु त्रिकोण :- जैसलमेर – जोधपुर – बाड़मेर – बीकानेर। जापान की संख्या JBIC की वित्तीय सहायता से विकसित किया जा रहा है।
– राज्य की प्रथम पर्यटन नीति :- 2001 में।
– राज्य की नई पर्यटन इकाई नीति :- 3 जून, 2015
– राज्य की इको टूरिज्म नीति :- 4 फरवरी, 2010
– होटल आरक्षण नीति :- मई 2016
– राजस्थान झील (संरक्षण एवं विकास) प्राधिकरण विधेयक :- 2015
– पश्चिमी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र :- उदयपुर में।
– राजस्थान धरोहर संरक्षण व प्रोन्नति प्राधिकरण :- 2006 में गठन।
– राजस्थान फाउण्डेशन :- 30 मार्च, 2001 को स्थापना। अध्यक्ष – मुख्यमंत्री।
– विश्व पर्यटन दिवस :- 27 सितम्बर। विश्व विरासत दिवस :- 18 अप्रैल।
– राजस्थान में युद्ध संग्रहालय :- जैसलमेर में।
– प्रसिद्ध स्मारक सुनहरी कोठी टोंक जिले में है।
– गोविन्द गुरु राष्ट्रीय जनजाति संग्रहालय :- भानगढ़ (बाँसवाड़ा)।
– सेंटर फॉर एक्सीलेंस फॉर टूरिज्म ट्रेनिंग (CETT) :- उदयपुर।
– देश का पहला वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल :- उदयपुर। (फरवरी 2016)
– संत रैदास का पैनोरमा :- चित्तौड़गढ़
– सिलिकन वैक्स म्यूजियम :- नाहरगढ़ दुर्ग।
– पर्यटन की दृष्टि से “मिनी गोवा’ राज्य के बीसलपुर बाँध के किनारे विकसित किया जाएगा।
– पन्नाधाय पैनोरमा :- कमेटी (राजसमन्द)
– हसन खाँ मेवाती पैनोरमा :- अलवर।
– बुद्धा सर्किट :- जयपुर – झालावाड़।
– P. A. T. A. का राजस्थान में पर्यटन से सम्बन्धित है।
– भवानी नाट्यशाला :- झालावाड़। छनेरी-पनेरी देवालय :- झालावाड़।
– आध्यात्मिक सर्किट :- कामां क्षेत्र (भरतपुर) – मचकुण्ड (धौलपुर) – विराटनगर (जयपुर) – सामोद के बालाजी (जयपुर) – घाट के बालाजी (जयपुर) – बन्धे के बालाजी (जयपुर) में अवस्थित स्मारक।
– देश का तीसरा व राज्य का पहला राजीव गाँधी टूरिज्म कन्वेंशन सेंटर :- जोधपुर।
– पण्डित दीनदयाल उपाध्याय स्मारक :- धानक्या (जयपुर)।
– राजस्थान में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सिंगापुर देश ने साझेदारी की है।
– जयपुर का जन्तर-मन्तर 31 जुलाई, 2010 को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल हुआ।
– प्रदेश के पर्यटन सम्भाग :- जोधपुर, उदयपुर, कोटा व अजमेर।
– राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना में शामिल राजस्थान की झीलें :- 1. आना सागर, 2. नक्की झील, 3. फतेहसागर, 4. पिछोला, 5. मानसागर, 6. पुष्कर।
– 2004-05 में पर्यटन को जन उद्योग का दर्जा दिया गया है।