राजस्थान सामान्य ज्ञान : पर्यटन एवं पर्यटन स्थल

 

 

  1. भरतपुर
  • भरतपुर नगर की स्थापना 1773 ई. में महाराजा सूरजमल ने की थी।
  • यह राजस्थान के पूर्व में स्थित है, अत: इसे “राजस्थान का पूर्वी द्वार’ भी कहा जाता है।
  • भरतपुर के किले को “लोहागढ़’ कहा जाता है।
  • भरतपुर, केवलादेव घना पक्षी अभ्यारण्य के कारण विश्वप्रसिद्ध है।

भरतपुर के प्रमुख पर्यटन स्थल

(a)  केवलादेव पक्षी अभ्यारण्य –

  • भरतपुर के दक्षिण-पश्चिम में स्थित केवलादेव पक्षी अभ्यारण्य देशी-विदेशी पक्षियों के लिए शरणस्थली है।
  • यह स्थल पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग माना जाता है।

(b) डीग –

  • भरतपुर में जलमहलों की नगरी के रूप में प्राकृतिक बगीचों का दुर्ग “डीग’ स्थित है।
  • डीग के प्रमुख स्थलों में पूरण महल, सूरजभवन व गोपाल भवन प्रमुख हैं।

(c)  जवाहर बुर्ज –

  • महाराजा जवाहर सिंह द्वारा देहली के ऊपर विजय के उपलक्ष में 1764 ई. मंे इसका निर्माण करवाया गया था।

(d) रूपवास –

  • यह भरतपुर में स्थित एक कस्बा है, जिसके निकट ऐतिहासिक युद्ध स्थान “खानवा का मैदान’ है।
  • यहाँ पर गुप्तकालीन चक्रधर द्विभुजी विष्णु तथा सर्पफणां बलराम रेवती की विशाल प्रतिमाएँ हैं।
  1. बीकानेर
  • इस नगर की स्थापना राठौड़ वंश के राव बीकाजी ने 1488 ई. में की थी।
  • बीकानेर नगर परकोटे से घिरा हुआ है, जिसमें प्रवेश के लिए 5 द्वार हैं और उनमें कोट गेट सबसे विशाल है।

बीकानेर के प्रमुख पर्यटन स्थल

(a)  बीकानेर दुर्ग एवं महल –

  • बीकानेर किले का निर्माण राजा रायसिंह द्वारा करवाया गया है।
  • इस किले का मुख्य प्रवेश द्वार सूरजपोल है।
  • इसमें अनेक महल स्थित हैं, जिसमें चंद्रमहल व कर्णमहल प्रमुख हैं।

(b) लाल गढ़ –

  • लाल पत्थरों से निर्मित यह महल खुदाई कला का उत्कृष्ट नमूना है।

(c)  गजनेर महल –

  • यह एक मरु उद्यान के रूप में मरुस्थल में हरियाली का बोध करवाता है।
  • यह स्थान झील के किनारे बना हुआ है।

(d) करणी माता का मंदिर –

  • बीकानेर के देशनाेक गाँव में करणी माता का मंदिर स्थित है, जिसमें हज़ारों पवित्र चूहे हैं।
  • बीकानेर के राजवंश करणी माता के प्रमुख भक्त हैं।

(e)  कोलायत –

  • मान्यतानुसार यह स्थल कपिल मुनि की तपोस्थली था।
  1. बूँदी
  • बूँदी राज्य की स्थापना 1342 ई. में हाड़ा वंश के राव देवा ने की थी।
  • यहाँ स्थित नवलक्खा तालाब इसे आकर्षक बनाता है।

बूँदी के प्रमुख पर्यटन स्थल

(a)  बूँदी का गढ़ –

  • इसकी स्थापना 17वीं शताब्दी में हुई थी।
  • कर्नल जेम्स टॉड ने इसे समस्त रजवाड़ाेंके गढ़ों में सर्वोत्कृष्ट माना।
  • इस गढ़ में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण छत्र महल हैं, जिसे राजा छत्रसाल ने 1531 ई. में बनवाया था।

(b)बूँदी के अन्य दर्शनीय पर्यटन स्थल

  • चौरासी खंभों की छतरी, सूरज छतरी, फूल सागर, नवल सागर, जैत सागर आदि।
  1. जयपुर
  • राजस्थान की राजधानी जयपुर (गुलाबी नगर) की नींव 25 नवम्बर, 1727 ई. को तत्कालीन महाराजा सवाई जयसिंह द्वारा रखी गई थी।
  • इसका नगर नियोजन विद्याधर भट्‌टाचार्य ने किया था।
  • नगर की बनावट आयताकार है।
  • पुराने शहर के चारों ओर 8 प्रवेश द्वार हैं, जो हैं – सांगानेरी गेट, घाट गेट व न्यू गेट, उत्तर में ध्रुव गेट, दक्षिण में अजमेरी गेट, पूर्व में सूरज पोल गेट व पश्चिम में चाँदपोल गेट।

जयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थल

(a)  हवामहल –

  • यह पाँच मंजिलाें वाला गोल और आगे निकले झरोखों और खिड़कियों से युक्त पिरामिड के समान है।
  • हवामहल की वैज्ञानिक संरचना इस प्रकार है कि इसमें लगातार तेज हवा आती रहती है।
  • हवामहल का निर्माण 1799 ई. में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने करवाया था।
  • यह लाल और गुलाबी पत्थर से निर्मित स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है।
  • हवामहल में कुल 5 मंजिलें हैं, जो हैं – शरद मंदिर, रत्न मंदिर, विचित्र मंदिर, सूर्य/प्रकाश मंदिर, हवा मंदिर।

(b) जंतर-मंतर –

  • जयपुर में स्थित जंतर-मंतर एक खगोलीय वैधशाला है, जिसका निर्माण सवाई जयसिंह द्वारा 1724 ई. से 1734 ई. के बीच में करवाया गया।
  • यह यूनेस्को के विश्व-धरोहर स्थलों की सूची में शामिल है।
  • इस वैधशाला में स्थित प्रमुख यंत्र समय मापने, ग्रहण की भविष्यवाणी करने, किसी तारे की स्थिति जानने और सौरमण्डल के ग्रहों को देखने, जानने आदि में सहायक है।

(c)  राजमहल (सिटी पैलेस) –

  • यह जयपुर में स्थित राजपूत व मुगल शैलियों की मिश्रित स्थापत्य कला का नमूना है।
  • राजमहल के चारों ओर पक्की दीवार है, जिसमें प्रवेश हेतु 7 द्वार हैं।
  • दक्षिण का द्वार त्रिपोलिया कहलाता है, जो केवल राजपरिवार के सदस्यों के लिये प्रयोग में लाया जाता था।
  • इसके दीवान-ए-आम में महाराजा का निजी पुस्तकालय (पोथीखाना) तथा सिलेह खाना (शस्त्रागार) स्थित है।

(d) चंद्रमहल –

  • यह जयपुर के महाराजा जयसिंह द्वितीय द्वारा निर्मित किया गया है, जो सिटी पैलेस परिसर में स्थित है।
  • वर्तमान में यह जयपुर के महाराजा का निवास स्थान है।

(e)  रामनिवास बाग –

  • यह महाराजा रामसिंह द्वितीय द्वारा 1865 ई. में निर्मित एक महत्त्वपूर्ण उद्यान नगर के रूप में है।
  • इसमें अल्बर्ट हॉल, अजायबघर, रवींद्रकला मंच, चिड़ियाघर आदि स्थित हैं।

(f)  गैटोर –

  • जयपुर के नाहरगढ़ किले की तलहटी में जयपुर के दिवंगत महाराजाओं की छतरियाँ स्थित हैं।
  • इस स्थान को ही गैटोर कहा जाता है।
  • यह हिंदू और इस्लामिक स्थापत्यकला का नमूना है।

(g) नाहरगढ़ –

  • इसका निर्माण सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1734 ई. में करवाया था।
  • नाहरगढ़ का दुर्ग जयपुर को घेरे हुए अरावली पर्वतमालाओं के ऊपर स्थित है।
  • इसमें स्थित हवा मंदिर व माध्वेन्द्र भवन स्थापत्यकला के उत्कृष्ट नमूने हैं।

(h) विद्याधर बाग –

  • जयपुर आगरा मार्ग पर स्थित यह एक आकर्षक उद्यान है।

(i)  सांगानेर –

  • यह प्राचीन राजपूत नगर है, जो 11वीं शताब्दी के संधीजी के जैन मंदिर के लिये प्रसिद्ध है।
  • यह संगमरमर से निर्मित स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है।
  • यह नगर हस्तछपाई और कागज के कार्यों के लिये प्रसिद्ध है।
  • यहाँ पर जयपुर हवाई अड्‌डा भी स्थित है।

(j)  आमेर महल –

  • आमेर महल माओटा झील के किनारे पहाड़ी पर निर्मित है।
  • इसके मुख्य द्वार पर जयपुर के राजाअों की कुलदेवी शीलामाता का मंदिर है।
  • इसमें स्थित शीशमहल स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
  • यहाँ का जयगढ़ किला भी अत्यंत प्रसिद्ध है।
  1. उदयपुर
  • इस नगर की स्थापना 1568 ई. में महाराणा उदय सिंह द्वारा की गई थी।
  • इसे राजस्थान का कश्मीर, वेनिस ऑफ द ईस्ट, झीलों की नगरी/रानी के रूप में भी जाना जाता है।

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