पर्यटन विभाग (राजस्थान) द्वारा आयोजित किए जाने वाले मेले एवं उत्सव
मेले एवं उत्सव | स्थान | माह | मेले एवं उत्सव | स्थान | माह |
ऊँट महोत्सव | बीकानेर | जनवरी | मरू महोत्सव | जैसलमेर | जनवरी-फरवरी |
हाथी महोत्सव | जयपुर | मार्च | मेवाड़ महोत्सव | उदयपुर | अप्रैल |
ग्रीष्म महोत्सव | माउण्ट आबू | मई-जुन | मारवाड़ महोत्सव | जोधपुर | अक्टूम्बर |
शेखावाटी महोत्सव | सीकर, चूरू, झुंझुनूं | फरवरी | शरद् महोत्सव | माउण्ट आबू | दिसम्बर |
गणगौर मेला | जयपुर | मार्च-अप्रैल | तीज सवारी | जयपुर | जुलाई-अगस्त |
पुष्कर मेला | अजमेर | नवम्बर | बेणेश्वर मेला | डूंगरपुर | नवम्बर |
कजली तीज | बून्दी | अगस्त | चन्द्रभागा | झालावाड़ | |
बृज महोत्सव | भरतपुर | फरवरी | कैलादेवी मेला | करौली | अप्रैल |
डीग महोत्सव | डीग (भरतपुर) | जन्माष्टमी | थार महोत्सव | बाड़मेर | |
मीराँ महोत्सव | चित्तौड़गढ़ | अक्टूम्बर | पतंग उत्सव | जयपुर | |
मत्स्य उत्सव | अलवर |
राजस्थान के पर्यटन स्थल
- राजस्थान के पर्यटन स्थलों को उनकी विभिन्न विशेषताओं के आधार पर अलग-अलग भागों में बाँटा गया है, जो निम्नलिखित है –
- प्राकृतिक पर्यटन स्थल–
- प्राकृतिक सौंदर्य के स्थानों पर स्थित पर्यटन स्थलों को “प्राकृतिक पर्यटन स्थल’ कहते हैं।
- राज्य के प्रमुख प्राकृतिक पर्यटक स्थल – माउण्ट आबू, घना पक्षी अभ्यारण्य, कुम्भलगढ़, सरिस्का, जयसमंद, मैनाल आदि।
- तीर्थों की दृष्टि से पर्यटन स्थल–
- इसके अंतर्गत राज्य के वे पर्यटन स्थल शामिल हैं, जिनका महत्त्व तीर्थों की दृष्टि से है।
- उदाहरण – रणकपुर, गलता, जयसमंद, सरिस्का, ऋषभदेव, बेणेश्वर, सारणेश्वर आदि।
- ऐतिहासिक पर्यटन स्थल–
- वे स्थल जिनका ऐतिहासिक महत्त्व है, “ऐतिहासिक पर्यटन स्थल’ कहलाते हैं।
- उदाहरण – रणथम्भौर, मण्डोर, चित्तौड़गढ़, आमेर, विराट, भरतपुर, जालौर, जाेधपुर, उदयपुर आदि।
- स्थापत्य कला एवं शिल्प कला की दृष्टि से पर्यटन स्थल–
- रणथम्भौर, चित्तौड़गढ़, जैसलमेर, बूँदी, आमेर, डीग के महल, उदयपुर के राजमहल, जयपुर का हवामहल, रणकपुर व आबू के जैन मंदिर, अजमेर का अढ़ाई दिन का झौंपड़ा आदि।