राजस्थान सामान्य ज्ञान : त्योहार व मेले

 

 

बौद्ध धर्म के त्यौहार

– बौद्ध पूर्णिमा :- वैशाख पूर्णिमा को गौतम बुद्ध की जयंती के रूप में मनाया जाता है।

अन्य तथ्य :-

– चुंघी तीर्थ मेला :- जैसलमेर में।

– तीर्थराज मेला :- मचकुण्ड (धौलपुर) में।

– चारभुजा का मेला :- राजसमन्द में। (भाद्रपद शुक्ल एकादशी)।

– श्री जगदीश महाराज का मेला :- गोनेर (जयपुर)।

– ख्वाजा नजमुद्दीनशाह का उर्स :- फतेहपुर (सीकर)।

– भद्रकाली मेला, पल्लू मेला :- हनुमानगढ़ में।

– जैसलमेर में गणगौर पर केवल गवर की पूजा की जाती है, ईसर की नहीं।

– मुगधणा :- भोजन पकाने के लिए लकड़ियाँ, जो विनायक स्थापना के पश्चात लाई जाती है।

– गणगौर त्यौहार 18 दिन की अवधि तक मनाया जाता है।

– सोमवती अमावस्या पौष अमावस्या को मनायी जाती है तथा इस दिन पीपल वृक्ष की पूजा की जाती है।

– वरकाणा का मेला जैन धर्म से सम्बन्धित है।

– धींगा गवर बेंतमार मेला :- वैशाख कृष्णा तृतीया।

– सारणेश्वर मेला :- सिरोही में (भाद्रपद शुक्ला 11-12)

– कपिल धारा मेला सहरिया जनजाति से संबंधित है।

– बैलून महोत्सव :- बाड़मेर में।

– गरुड़ मेला :- बंशी जहाजपुर (भरतपुर) – कार्तिक माह में।

– राष्ट्रीय जनजाति मेला :- डूंगरपुर में।

– देव सोमनाथ मेला :- डूंगरपुर में।

– गधों का मेला :- भावगढ़ बंध्या (लूणियावास, जयपुर)

– प्रताप जयन्ती :- ज्येष्ठ शुक्ला तृतीया।

– हिण्डोला उत्सव :- रंगजी के मंदिर (पुष्कर) में श्रावण मास में छोटी तीज से बड़ी तीज तक आयोजित उत्सव।

– बदराना पशु मेला :- शेखावटी का प्रसिद्ध पशु मेला, जो नवलगढ़ (झुंझुनूं) में आयोजित होता है।

– राजस्थान में 10 राज्य स्तरीय पशु मेले आयोजित किये जाते हैं।

– तेरूंदा :- मकर संक्रांति के अवसर पर 13 वस्तुएं दान में देने का रिवाज।

– वैशाख कृष्णा तृतीया के दिन उदयपुर में ‘धींगा गणगौर’ महाराणा राजसिंह के काल में मनाना शुरू किया गया।

– ढूँढ :- शिशु के जन्म के बाद होली से पहले वाली ग्यारस को होने वाला पूजन।

– षट्‌तिला एकादशी को भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

– साँझी त्यौहार ‘कुँवारी कन्याओं से’ संबंधित है।

– शेखावटी में उब छठ को चाना छठ कहा जाता है।

– बादशाह मृखशाह का संबंध सिंधी समाज से है।

– राजस्थान में 6वीं शताब्दी में सूर्य की पूजा लोकप्रिय थी।

– सुइयाँ मेला पोष अमावस्या को बाड़मेर में आयोजित होता है।

– फुलेरा दूज :- फाल्गुन शुक्ला द्वितीया।

– भलका चौथ :- चैत्र शुक्ल चतुर्थी को मेवाड़ में मनाई जाती है।

– राजस्थान में सांझी बनाने की परम्परा वृन्दावन से आई।

– वोळावणी :- गणगौर त्यौहार का अन्तिम दिन।

– राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में दीपावली के अवसर पर हीड़ पूजन की प्रथा है। हीड़ का अर्थ होता है – प्रकाश।

– गीता जयन्ती :- मार्गशीर्ष शुक्ला एकादशी।

– शीतला माता मेले को ‘बेलगाड़ी मेला’ भी कहा जाता है।

– डोलचीमार होली :- बीकानेर में।

– 12 भाईयों का मेला :- बाड़ी (धौलपुर) में।

– नीलापानी का मेला :- हाथोड़ (डूंगरपुर) में।

– राज्य में सर्वाधिक मेले :- डूंगरपुर में (21 मेले)।

– राज्य में सर्वाधिक पशु मेले :- नागौर में।

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