हवाएँ :
- राजस्थान में जून के महीने में हवाएँ सबसे तेज व नवम्बर के महीने में सबसे हल्की चलती हैं।
- राज्य में वायु की अधिकतम गति लगभग 140 किमी./घण्टा है।
- ग्रीष्म ऋतु में गर्म, तेज हवाएँ और आंधियाँ पश्चिमी राजस्थान की विशेषता है।
आंधियाँ :
- राजस्थान में सर्वाधिक आँधियाँ मई–जून के महीने में आती है।
- राज्य में सर्वाधिक आंधियों वाला जिला – श्रीगंगानगर (27 दिन)।
- राज्य में दूसरा सर्वाधिक आंधियों वाला जिला – हनुमानगढ़ (23 दिन)।
- राज्य में न्यूनतम आंधियों वाला जिला – झालावाड़ (3 दिन)।
- राज्य में दूसरा न्यूनतम आंधियों वाला जिला – कोटा (5 दिन)।
- राज्य के पश्चिमी शुष्क क्षेत्रों की अपेक्षा पूर्वी भागों में वज्र तूफान अधिक आते हैं।
- मावट/महावट – सर्दियों में भूमध्यसागरीय चक्रवातों (पश्चिमी विक्षोभों) के कारण उत्तरी व पश्चिमी राजस्थान में होने वाली वर्षा। यह वर्षा रबी की फसल के लिए लाभकारी, अतः राजस्थान में इसे गोल्डन ड्रोप्स कहते हैं।
- पश्चिमी राजस्थान में दैनिक तापांतर सर्वाधिक रहता है।
- राजस्थान में छोटे क्षेत्र में उत्पन्न वायु भंवर (चक्रवात) को स्थानीय क्षेत्र में भभूल्या कहते हैं।
- पुरवईयाँ – बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी हवाओं को स्थानीय भाषा में ‘पुरवईयाँ’ (पुरवाई) कहते हैं।
जलवायु सम्बन्धी महत्वपूर्ण तथ्य –
- राज्य में सर्वाधिक वर्षा वाले महीने – जुलाई, अगस्त
- राज्य में सर्वाधिक वर्षा वाला जिला – झालावाड़ (100 सेमी.)
- राज्य में सबसे कम वर्षा वाला जिला – जैसलमेर (10 सेमी.)
- राज्य में सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान – माउण्ट आबू (सिरोही-125 से 150 सेमी)
- राज्य में सबसे कम वर्षा वाला स्थान – समगांव (जैसलमेर 5 सेमी)
- 50 सेमी. वर्षा रेखा राजस्थान को दो भागों में बांटती है।
- राजस्थान में 50 सेमी. वर्षा रेखा उत्तर – पश्चिम में कम जबकि दक्षिण – पूर्व में अधिक होती है।
तथ्य – उत्तर-पश्चिम से दक्षिण पूर्व की ओर चलने पर वर्षा का औसत बढ़ता हुआ दिखायी देता है। जबकि इसके विपरीत वर्षा का औसत घटता हुआ दिखायी देता है।
- राज्य में सर्वाधिक आर्द्रता वाला महीना – अगस्त
- राज्य में सबसे कम आर्द्रता वाला महीना – अप्रेल
- राज्य में सर्वाधिक आर्द्रता वाला जिला – झालावाड़
- राज्य में सबसे कम आर्द्रता वाला जिला – बीकानेर
- राज्य में सर्वाधिक आर्द्रता वाला स्थान – माउण्ट आबु (सिरोही)
- राज्य में सबसे कम आर्द्रता वाला स्थान – फलौदी (जोधपुर)
कोपेन के अनुसार राजस्थान के जलवायु प्रदेश
जलवायु वर्गीकरण के आधार -: वर्षा, वनस्पति, तापमान, वाष्पीकरण।
(i) AW या ऊष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु प्रदेश – इस जलवायु प्रदेश के अंतर्गत डूंगरपुर जिले का दक्षिणी भाग एवं बांसवाड़ा,चित्तौड़गढ़ व झालावाड़ आते हैं। यहाँ का तापक्रम 18° से. से ऊपर रहता है। इस प्रदेश में ग्रीष्म ऋतु में भीषण गर्मी (30°- 40°) तथा यहाँ की वनस्पति सवाना तुल्य एवं मानसूनी पतझड़ वाली आदि प्रमुख विशेषताएँ हैं। औसत वर्षा – 80 cm से अधिक
(ii) Bshw जलवायु प्रदेश –इस प्रदेश के अन्तर्गत, जालौर, बाड़मेर, सिरोही, पाली, नागौर, जोधपुर, चूरू, सीकर, झुंझुनूं आदि आते हैं। इस प्रदेश में जाड़े की ऋतु शुष्क, वर्षा कम (20-40 cm) व स्टैपी प्रकार की वनस्पति पायी जाती है। कांटेदार झाड़ियाँ एवं घास यहाँ की मुख्य विशेषता है। ग्रीष्म ऋतु → 32°-35° से सर्दी → 5°-10°C
(iii) BWhw जलवायु प्रदेश – यहाँ वर्षा बहुत कम होने के कारण वाष्पीकरण अधिक होता है। इस प्रदेश में मरुस्थलीय जलवायु पायी जाती है। इस जलवायु प्रदेश के अन्तर्गत-जैसलमेर, पश्चिमी बीकानेर, उ. पश्चिमी जोधपुर, हनुमानगढ़ तथा गंगानगर आदि आते हैं। वर्षा 10-20 cm ग्रीष्म 35°C मे अधिक शीत 12-18°C वर्षा -: 60-80 cm वाष्पीकरण की दर तीव्र
(iv) Cwg जलवायु प्रदेश – अरावली के दक्षिण-पूर्वी भाग इस जलवायु प्रदेश में आते हैं। यहाँ वर्षा केवल वर्षा ऋतु में होती है। शीतऋतु में कुछ मात्रा में वर्षा होती है। ग्रीष्म -: 32°-38°C शीत-: 14°-16°C
थार्नवेट के विश्व जलवायु प्रदेशों पर आधारित : राजस्थान जलवायु प्रदेश आधार -: वनस्पति, वाष्पीकरण मात्रा, वर्षा व तापमान।
- इसके वर्गीकरण का आधार भी कोपेन की भाँति वनस्पति है। यह कोपेन के वर्गीकरण से अधिक मान्य है।
(i) CA’ w (उपआर्द्र जलवायु प्रदेश) – इस प्रकार का प्रदेश अधिकांशतया दक्षिणी-पूर्वी उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, कोटा, बारां, झालावाड़ आदि जिलों में पाया जाता है। यहाँ वर्षा ग्रीष्म ऋतु में होती है। शीत ऋतु प्रायः सूखी रहती है। यहां सवाना तथा मानसूनी वनस्पति पायी जाती है।
(ii) DA’ w (उष्ण आर्द्र जलवायु प्रदेश) – इस प्रकार की जलवायु में ग्रीष्मकालीन तापमान ऊँचे रहते हैं। वर्षा कम होती है तथा अर्द्ध मरूस्थलीय वनस्पति पायी जाती है। राजस्थान का अधिकांश भाग अर्थात् बाड़मेर व जोधपुर का अधिकांश भाग, बीकानेर, चूरू एवं झुन्झुनूं का दक्षिणी भाग, सिरोही, जालोर, पाली, अजमेर, उत्तरी चित्तौड़, बूंदी, सवाई माधोपुर, टोंक, भीलवाड़ा, भरतपुर, जयपुर, अलवर आदि जिले इस जलवायु प्रदेश के अन्तर्गत आते हैं।
(iii) DB’ w (अर्द्ध शुष्क जलवायु प्रदेश) – इस प्रदेश के भागों में शीत ऋतु छोटी और शुष्क परन्तु ग्रीष्म ऋतु लम्बी और वर्षा वाली होती है। यहाँ कंटीली झाड़ियाँ और अर्द्ध-मरूस्थलीय वनस्पति पायी जाती है। राजस्थान के ऊत्तरी भाग जैसे गंगानगर, हनुमानगढ़ जिले व चूरू एवं बीकानेर के अधिकांश भाग आदि जिले इस प्रदेश में आते हैं।
(iv) EA’ d (उष्ण शुष्क कटिबन्धीय मरूस्थलीय जलवायु – यह अत्यन्त गर्म और शुष्क जलवायु प्रदेश है। यहां प्रत्येक मौसम में वर्षा की कमी अनुभव की जाती है। वनस्पति केवल मरूस्थलीय ही उगती है। राजस्थान की मरूस्थली में स्थित बाड़मेर, जैसलमेर, पश्चिमी जोधपुर, दक्षिणी-पश्चिमी बीकानेर आदि जिले इस प्रदेश के अन्तर्गत आते हैं।
ट्रिवार्था के विश्व जलवायु प्रदेशों पर आधारित राजस्थान जलवायु प्रदेश
- प्रो. ट्रिवार्थी ने डॉ. कोपेन के वर्गीकरण में संशोधन कर अपना वर्गीकरण प्रस्तुत किया है। यह वर्गीकरण बड़ा सरल और बोधगम्य है। अतः उसी आधार के अपनाते हुए लेखक ने राजस्थान में निम्न जलवायु प्रदेश सीमांकित किये हैं।
(i) Aw जलवायु प्रदेश – इस प्रकार के प्रदेश में उष्ण कटिबन्धीय आर्द्र जलवायु मिलती है जिसमें तापमान 21° से. तक रहता है और वर्षा 100 सेमी. तक होती है। बांसवाड़ा, उदयपुर, डूंगरपुर, चित्तौड़गढ़, बारां, झालावाड़ इसके अन्तर्गत आते हैं।
(ii) Bsh जलवायु प्रदेश – उष्ण और अर्द्ध उष्ण कटिबन्धीय स्टेपी जलवायु इस प्रदेश की विशेषता है। इस प्रकार की जलवायु पश्चिमी उदयपुर, हनुमानगढ़, राजसमन्द, सिरोही, जालौर, दक्षिणी-पूर्वी बाड़मेर, जोधपुर, पाली, अजमेर, नागौर, चूरू, झुन्झुनूं, सीकर, गंगानगर, बीकानेर आदि जिलों में मिलती है।
(iii) Bwh जलवायु प्रदेश – इस प्रदेश के अन्तर्गत उष्ण और अर्द्धउष्ण मरूस्थल जलवायु पाई जाती है। जैसलमेर, उत्तरी-पश्चिमी बीकानेर आदि जिले तथा उनके भू-भाग इसके अन्तर्गत आते हैं।
(iv) Caw जलवायु प्रदेश – यह अर्द्धउष्ण आर्द्र प्रदेश है जिसमें वर्षा कम होती है शीत ऋतु में कुछ वर्षा चक्रवातों द्वारा होती है। इसमें कोटा, बूंदी, पूर्वी टोंक, सवाईमाधोपुर, करौली, भरतपुर, धौलपुर, दक्षिणी अलवर आदि जिले आते हैं।