जयपुर
- अर्जुनलाल सेठी द्वारा जयपुर में राजनीतिक आन्दोलन का आरम्भ, आगे चलकर सेठ जमनालाल बजाज द्वारा रचनात्मक कार्य़ों में परिवर्तित हो गया।
- 1921 के असहयोग आन्दोलन से प्रभावित हो जयपुर राज्य में सेवा समितियों की स्थापना हुई।
- बजाज द्वारा 1927 ई. में चरखा संघ की स्थापना हुई। 1931 ई. में कर्पूरचन्द पाटनी ने जयपुर राज्य प्रजामंडल की स्थापना की, जो राजनीतिक दृष्टि से अधिक प्रभावशाली नहीं रहा।
- कांग्रेस के हरिपुरा प्रस्ताव के बाद जमनालाल बजाज की प्रेरणा व हीरालाल शास्त्री के सक्रिय सहयोग से जयपुर राज्य प्रजामण्डल का पुनर्गठन हुआ।
- इसका पहला अधिवेशन 9 मई, 1938 ई. को बजाज जी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। प्रजामण्डल का मूल उद्देश्य उत्तरदायित्व शासन की स्थापना करना था।
- प्रजामंडल को हतोत्साहित करने के लिये जयपुर सरकार ने कानून बनाकर किसी भी अपंजीकृत संस्था का सदस्य बनने पर रोक लगा दी। चूँकि श्री बजाज जयपुर राज्य की सीमा में नहीं रहते थे इसलिये संस्था का पंजीकरण नहीं हो पाया।
- राज्य द्वारा लगाये प्रतिबंध को तोड़कर जयपुर में प्रवेश करने पर बजाज को बंदी बना लिया गया। उन्हीं के साथ अन्य नेता जैसे हीरालाल शास्त्री, चिरंजीलाल अग्रवाल व कर्पूरचन्द पाटनी भी बंदी बनाये गये।
- जयपुर में सत्याग्रह का संचालन गुलाबचन्द कासलीवाल व दौलतमल भण्डारी के नेतृत्व में शुरू हुआ।
- अखिल भारतीय स्तर पर इस प्रश्न को गांधीजी ने उठाया व जयपुर के महाराजा को समझौते के लिये चेतावनी दी।
- औपचारिक बातचीत के बाद 7 अगस्त, 1939 ई. को समझौता हुआ जिसके तहत प्रजामंडल को मान्यता मिली व मार्च 1940 ई. में इसका विधिवत् पंजीकरण हुआ। हीरालाल शास्त्री इसके पहले अध्यक्ष बने।
- मई, 1940 में आपसी मतभेदों की वजह से कई कार्यकर्ताओं ने प्रजामण्डल छोड़ दिया व चिंरजीलाल अग्रवाल की अध्यक्षता में ‘प्रजामण्डल प्रगतिशील दल‘ नामक संगठन की स्थापना की।
- 16 सितम्बर, 1942 ई. को शास्त्री जी ने जयपुर के प्रधानमंत्री सर मिर्जा इस्माइल को पत्र लिखकर कुछ शर्त़ें रखी जिनकी पालना न करने पर आन्दोलन की चेतावनी दी। इनमें युद्ध के लिये जन-धन की सहायता न देना व उत्तरदायी शासन के लिये शीघ्र कार्यवाही करना था।
- 1942 ई. का आन्दोलन संचालित करने के विषय में विवाद उत्पन्न हुआ व बाबा हरिशचन्द्र के नेतृत्व में आजाद मोर्चा प्रजामण्डल से पृथक् हो गया जो 1945 ई. में नेहरू जी के प्रयासों से पुनः प्रजामण्डल में मिल गया। इससे आन्दोलन की गति थोड़ी धीमी पड़ी।
- मार्च, 1947 ई. में नया मंत्रिमंडल बना किन्तु उत्तरदायी सरकार की स्थापना 30 मार्च, 1949 ई. को ही हो सकी।
अलवर
- अलवर में स्वाधीनता संग्राम के अग्रदूत पं. हरिनारायण शर्मा थे जिन्होंने अस्पृश्यता निवारण संघ, वाल्मीकि संघ व आदिवासी संघ की स्थापना की।
- 1938 में पण्डित हरिनारायण शर्मा व कुंजबिहारी लाल मोदी ने अलवर में प्रजामण्डल की स्थापना की। इस संस्था का पंजीकरण नहीं हुआ तो संघर्ष आरंभ हुआ।
- अप्रेल, 1940 ई. में अलवर में निर्वाचित नगर पालिका परिषद् का गठन हुआ।
- 1940 ई. में युद्ध कोष के लिये चंदा वसूली का कार्यकत्ताओं ने विरोध किया। इस पर हरिनारायण शर्मा व भोलानाथ मास्टर को गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया।
- जनवरी, 1944 ई. में भवानीशंकर शर्मा की अध्यक्षता में प्रजामण्डल का प्रथम अधिवेशन हुआ। उत्तरदायी सरकार के गठन की मांग को लेकर प्रजामण्डल निरन्तर प्रयासरत रहा। 1946 ई. में प्रजामण्डल ने किसानों की मांगों का समर्थन करके उन्हें भू-स्वामित्व देने के प्रस्ताव का समर्थन किया।
- 30 अक्टूबर, 1946 ई. में महाराजा ने संवैधानिक सुधारों के लिये समिति नियुक्त की जिसका आन्दोलनकारियों ने बहिष्कार किया।
- उत्तरदायी शासन की मांग अलवर के शासक ने दिसम्बर, 1947 ई. को स्वीकार कर ली।
- मार्च, 1948 ई. में मत्स्य संघ में अलवर के विलय के साथ ही राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया प्रारम्भ हो गई।