कोटा
- कोटा में जन जागृति का श्रेय पं. नयनूराम शर्मा को जाता है, जो राजस्थान सेवा संघ के सक्रिय सदस्य थे। पं. शर्मा ने बेगार विरोधी आन्दोलन चलाने के साथ 1934 ई. में हाड़ौती पंजामंडल की भी स्थापना की किन्तु कोई विशेष उपलब्धि नहीं मिली।
- 1939 ई. में उन्होंने पं. अभिन्न हरि के साथ मिलकर कोटा राज्य प्रजामण्डल की स्थापना की। जिसका मुख्य उद्देश्य राज्य में उत्तरदायी प्रशासन की स्थापना करना था।
- प्रजामण्डल का प्रथम अधिवेशन नयनूराम शर्मा की अध्यक्षता में मांगरोल 1939 में किया गया।
- 1941 ई. में पं. नयनूराम शर्मा की हत्या के बाद नेतृत्व पं. अभिन्न हरि के पास आ गया। इन्होंने 1 नवम्बर, 1941 ई. में प्रजामण्डल के दूसरे अधिवेशन की अध्यक्षता की। 1942 ई. में वे गिरफ्तार हो गये।
- 1942 ई. में प्रजामण्डल के नये अध्यक्ष मोतीलाल जैन ने महाराव को पत्र लिखकर ब्रिटिश सरकार से संबंध विच्छेद करने को कहा। प्रजामंडल के कार्यकत्ताओं ने पुलिस को बैरकों में बंद करके शहर कोतवाली पर कब्जा कर तिरंगा फहराया।
- दो सप्ताह तक कोटा के नगर प्रशासन पर जनता का कब्जा रहा। ऐसा इतिहास में दूसरी बार हुआ जब जनता ने प्रशासन अपने हाथ में लिया (पहली बार 1857 ई. की क्रांति के दौरान ऐसा हुआ था।)।
- महाराव ने जब आश्वासन दिया कि सरकार दमन का सहारा नहीं लेगी, तब शासन पुनः महाराव को सौंपा गया। गिरफ्तार किये गये कार्यकर्त्ता रिहा कर दिये गये। यद्यपि उत्तरदायी शासन का आश्वासन दिया गया पर कोई व्यावहारिक या वास्तविक कार्य नहीं किया गया। इसी बीच स्वतंत्रता प्राप्त होने व संयुक्त राजस्थान बनने की प्रक्रिया शुरू होने से लोकप्रिय सरकार पद ग्रहण नहीं कर पाई।