राजस्थान सामान्य ज्ञान : जन्तुओं एवं पादपों का आर्थिक महत्व

 

शहद (Honey)

यह सुगंधित, गाढा, मीठा पदार्थ है जिसमें 17% जल, शर्करा, प्रोटीन, खनिज विटामिन आदि होते हैं। इसका विशिष्ट गुरूत्व 1.45 से 1.48 होता है।

(i) जल 17 – 20%

(ii) फ्रक्टोस 40 – 45%

(iii) ग्लूकोस 32 – 37%

(iv) सूक्रोस 12%

(v) एन्जाइम्स का वर्णक 2.21%

(vi) राख (Ash) 1%

(vii) विटामिन B, B6, C व D

मधुमक्खी का मोम (Bee Wax) – यह मधुमक्खी का सबसे उपयोगी उपउत्पाद है। यह मधुमक्खी के छत्ते से प्राप्त होता है। यह श्रमिकों की उदरीय ग्रंथियों का स्त्रवण है। यह पौधों के पदार्थ (पराग) से निर्मित होता है। इसे प्रॉपोलिस (Propolis) कहते हैं। इस Propolis से ही कठोर प्रकृति का मोम प्राप्त होता है।

रेशमकीट पालन (Sericulture)

  • व्यावसायिक स्तर पर रेशम के उत्पादन के लिए रेशम कीट के पालन को ‘रेशम कीट पालन’ कहते हैं।
  • सेरीकल्चर में कच्चे रेशम के उत्पादन के लिए रेशम कीट को पाला जाता है।
  • सबसे पहले रेशम कीट की खोज चीन की Lotzu ने 2697 B.C. में की जो Kwang Ti की साम्राज्ञी (Empress) थी।
  • भारत में सेरीकल्चर का इतिहास काफी पुराना है, करीब दूसरी BC से इसकी शुरूआत हुई।
  • भारत में मुख्य सिल्क उत्पादक केन्द्र असम, बंगाल, मद्रास, पंजाब, कश्मीर और कर्नाटक हैं।
  • भारत में रेशम उत्पादन 2,969 टन/वार्षिक है।
  • भारत रेशम उत्पादन में तीसरा स्थान रखता है।
  • भारत में रेशम उत्पादन (Mulberry silk) का सबसे बड़ा केन्द्र मैसूर (कर्नाटक) है।

रेशम कीट के प्राप्त रेशम के प्रकार –

  • मलबेरी रेशम कीट (बॉम्बिक्स मोराई) -मलबेरी को भोजन के रूप में लेते है। (मलबेरी सिल्क)।
  • टसर सिल्क वर्म (एन्थेरिया रॉयली) – जो ऑक पर निर्भर रहते हैं। टसर सिल्क (Tasar Silk).
  • ऐरी या अरण्डी सिल्क वर्म (एटेक्स रिसिनाई) – जो अरण्ड (Castor) पर निर्भर रहते हैं। एरी सिल्क (Eri Slik).
  • मूंगा सिल्क वर्म (एन्थेरिया असामा) जो ओक व दूसरे जंगल के वृक्षों से भोजन प्राप्त करते हैं – मूंगा सिल्क (Munga Silk).
  • रेशम का धागा एक प्रोटीन है जो रेशम कीट की रेशम गंथियों से प्राप्त होता है।
  • बॉम्बिक्स मोराई (Bombyx mori) के लार्वा की लार ग्रंथियों के रूपान्तरण से रेशम ग्रंथियां बनती हैं।
  • यह लार्वा अपने चारों तरफ कॉकून बनाता है।
  • कॉकून को गर्म पानी में उबाला जाता है। इस कॉकून से रेशम का धागा प्राप्त होता है।
  • भारत ही एक ऐसा अकेला देश है जहां चारों प्रकार का रेशम पाया जाता है।

रेशम कीट (Bombyx mori) का जीवन चक्र

  • वयस्क रेशम कीट सफेद क्रीम रंग का रोमिल शरीर वाला 5 cm. लम्बा प्राणी है।
  • मादा कीट मलबेरी पौधों की पत्तियों पर 400-500 अण्डें देती है।
  • गर्मियों में स्फुटन करीब 10 दिनों में हो जाता है।
  • चार निर्मोचन के बाद लार्वा पाचवें इन्सटार के रूप में होता है।
  • यह लार्वा स्वयं कॉकून बनाता है।
  • पाँचवें इन्सटार कैटपिलर में लार ग्रंथियां विकसित होती हैं, यह भोजन लेना बंद कर देता है और स्पष्ट विस्कस द्रव निकालता है यह द्रव एक तंतु-ग्रंथि (Spinneret) जिसका छिद्र हाइपोफेरिंग्स पर स्थित रहता है, द्वारा बाहर आता है तथा एक पतले रेशम के धागे का रूप लेता है। यह धागा वायु के सम्पर्क में आने पर कड़ा हो जाता है तथा शरीर के चारों और लिपटता जाता है। इस प्रकार शरीर के चारों और लिपटे आवरण को कोया (Cocoon) कहते हैं।
  • इस स्त्रवण से दो प्रकार के तंतु बनते हैं, सीमेन्टेड पदार्थ के साथ सेरीसीन (Sericin) और केरोटीन युक्त वर्णक होते हैं।
  • 3 दिनों में पूरा कॉकून बन जाता है।
  • एक कॉकून का भार 8 से 2.2 ग्राम होता है।
  • कायान्तरण के दौरान प्यूपा में ऊतक अपघटन (histolysis) और निर्माण (histogensis) होता है।
  • पूर्ण परिवर्धित प्यूपा इमेगो कहलाता है।
  • वयस्क मॉथ कॉकून से बाहर आता है।
  • वयस्क का जीवन काल 3-4 दिन का होता है।

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