राजस्थान सामान्य ज्ञान : जन्तुओं एवं पादपों का आर्थिक महत्व

 

मकरंद संग्रहण एवं मधु निर्माण

  • एक श्रमिक को 450 ग्राम शहद बनाने के लिए फूलों से पराग और मकरंद लाने के लिए 40,000-80,000 ट्रिप लगाने पड़ते हैं।
  • मकरंद फूलों में उपस्थित शर्करायुक्त पदार्थ है।
  • मकरंद (nectar) को क्रॉप में इकट्ठा करते हैं।
  • लार में उपस्थित एन्जाइम्स द्वारा सूक्रोस पर क्रिया की जाती है और इसे ग्लूकोस, लेबूलोस और फ्रक्टोस में बदला जाता है।
  • श्रमिकों द्वारा हाइड्रोलाइज्ड मकरंद बाहर उडेला जाता है और छत्ते के संग्रह कोष्ठों (Storage cell) में संग्रहित किया जाता है।
  • जल की अतिरिक्त मात्रा को पंखों की हवा द्वारा वाष्पित कर दिया जाता है। यह सांद्रित पदार्थ शहद (Honey) कहलाता है।

संचार एवं मधुमक्खी का नाच (Communication by dance)

  • भोजन की खोज में निकलने वाली मधुमक्खियों में मार्ग की सही पहचान के लिए दृष्टि ज्ञान, घ्राण व स्वाद बहुत विकसित होते हैं। मधुमक्खियों सूर्य की स्थिति, पुष्पों की सुगन्ध से मार्ग की पहचान करती हैं।
  • मधुमक्खियाँ आपस में सूचना भी पहुंचाती है। जिससे भोजन स्त्रोत का पता अन्य सभी सदस्यों को चला जाता है।
  • अर्नेस्ट स्पिट्नजर (Ernest spytzner 1788) ने बताया कि मधुमक्खियाँ निश्चित प्रकार के प्रचलन को संचार माध्यम बनाती है इस विशेष गति को ‘मधुमक्खी की नृत्य’ कहा गया है
  • बाद में कार्ल वॉन फ्रिश (Karl Von Frish 1946-1969) ने ‘मधुमक्खी के नृत्य’ की व्याख्या की। इसके लिए इन्हें नोबेल पुरस्कार भी मिला।

मधुमक्खियों में निम्न प्रकार का नृत्य देखा गया है –

  • गोल नृत्य (Round dance) – यह नृत्य बताता है कि भोजन स्त्रोत छत्ते से 75 मीटर से कम दूरी पर है। स्त्रोत की दिशा का बोध स्काउट मधुमक्खियों के शरीर पर लगी पुष्पों की गंध से किया जाता है।
  • दुम हिलाने वाला नृत्य (Tail wagging dance) – इसके द्वारा दूर स्थित भोजन स्त्रोत की सूचना दी जाती है। इसमें सूर्य की स्थिति के अनुसार दिशा व दूरी दोनों का बोध कराया जाता हे। सीधी रेखा में उड़ते समय मधुमक्खी अपनी दुम हिलाती है तथा पंखों को हिलाकर ध्वनि उत्पन्न करती हैं।
  • नृत्य की गति, दुम हिलाने की गति की दूरी का पता लगाया जाता है।
  • यदि दुम हिलाते हुए सीधी रेखा पर गति उर्ध्वाधर ऊपर की ओर होती है तो भोजन स्त्रोत सूर्य की दिशा में होती है।
  • यदि दुम हिलाते हुए गति उर्ध्वाधर नीचे की ओर होती है तो भोजन स्त्रोत सूर्य की विपरीत दिशा में होता है।

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