राजस्थान सामान्य ज्ञान : जन्तुओं एवं पादपों का आर्थिक महत्व

जन्तुओं एवं पादपों का आर्थिक महत्व

मधुमक्खी पालन (Apiculture)

  • मधुमक्खियों का रखरखाव एवं व्यवस्था वैज्ञानिक तरीके से की जाती है, इसे एपीकल्चर (Apiculture) कहते हैं। यद्यपि मधुमक्खियां पूरे साल भर सक्रिय रहती हैं। मधुमक्खियों को रखने के बारे में वेदों और रामायण में मिलता है। यह बहुरूपता तथा कार्यात्मक श्रम विभाजन को दर्शाती है।
  • मक्खी एक सामाजिक कीट (Social insect) है जिसमें बहुरूपता (polymorphism) एक श्रम विभाजन (Division of labour) पाया जाता है।
  • एक सामान्य छत्ता 30-40 cm व्यास का होता है। इसमें मक्खियों की संख्या 50-60 हजार तक होती है।

मधुमक्खी की महत्वपूर्ण प्रजातियाँ (Important species of Honey-bees)

एपिस डोर्सेटा या रॉक मधुमक्खी (Apis dorsata or Rock bee) – इसे सारंग मक्खी भी कहते है। यह सबसे बड़े आकार की होती है तथा सर्वाधिक मात्रा में शहद उत्पन्न करती है। गुस्सैल एवं प्रवासी प्रकृति होने के कारण इन्हें पालना सम्भव नहीं है।

एपिस इन्डिका अथवा भारतीय मोना मक्खी (Apis Indica or Indian Mona-bee) – यह पूर्ण भारत में मिलने वाली, सांरग मक्खी से छोटी तथा शान्त स्वभाव की होती है। इसके प्रति छत्ते से 3-4 किग्रा शहद प्राप्त होता है। यह आसानी से पाली जा सकती है।

एपिस फ्लोरिया अथवा भृंग मक्खी (Apis florea or Bhringa-bee) – यह यूरोपियन मक्खी भी कहलाती है तथा शान्त प्रकृति की होती है। इसके एक छत्ते से केवल 250 ग्राम शहद प्राप्त होता है, अतः व्यापारिक दृष्टि से उपयोगी नहीं है।

एपिस मैलीफरा (Apis mellifera) – यह यूरोपियन मक्खी भी कहलाती है तथा शान्त प्रकृति की होती है। इसके प्रति छत्ते से मोना मक्खी की अपेक्षा 9-10 गुणा अधिक शहद मिलता है। यह व्यापारिक दृष्टि से सर्वाधिक उपयोगी है। इसकी इटालिन किस्म अधिक महत्वपूर्ण है।

  • सामाजिक संगठन (Social Organisation) मधुमक्खियों की कॉलोनी में अत्यधिक संगठित कार्यात्मक श्रम विभाजन मिलता है।
  • हरेक कॉलोनी में 40,000 से 50,000 की संख्या में 3 प्रकार के कीट मिलते हैं।
  • रानी मक्खी (Queen) यह 15-20 mm लम्बी श्रमिक मक्खी से लगभग तीन गुना बड़ा और 3 गुना भारी होता हैं यह लगभग 5 वर्ष तक जीवित रहती है। इसकी टाँगे व पंख छोटे परन्तु उदर लम्बा होता है। इसमें अंडों से भरा अंडाशय होता है। यह केवल एक होती है, निषेचित अण्डों से विकसित होती है। (अर्थात 32 गुणसूत्र होते हैं।) रॉयल जेली का भोजन करती है। इसका केवल एक कार्य है – प्रजनन यह प्रतिदिन लगभग 2000 अण्डे देती है। एक रानी अपने जीवनकाल में लगभग 1500000 अण्डे देती है।
  • नर मक्खियाँ या ड्रोन्स (Drone) एक छत्ते में लगभग 100 नर मक्खियाँ होती है। ये लगभग 7-15 mm लम्बी होती है। इनमें लार व मोम ग्रंथियाँ तथा डंक नहीं होते। रानी मक्खी के समान ये भी पोषण के लिए श्रमिक मक्खियों पर निर्भर करती है। इनका एकमात्र कार्य है – रानी मक्खी का निषेचन करना। नर मक्खियाँ अनिषेचित अंडे से उत्पन्न होती है। अतः इनमें गुणसूत्रों की संख्या 16 होती है।
  • श्रमिक (Worker) छत्ते में इनकी संख्या कई हजार (60000 या अधिक) होती है। ये सबसे छोटी होती है। इनके पंख व मुखांग बहुत मजबूत होते हैं। इनके मुखांग फूलों का रस चूसने के लिए तथा टांगें परागकरण एकत्रित करने के लिए रूपांतरित होती है। पिछली टांगों पर एक-एक परागकण कंडी (Pollen basket) होती है।
  • दूसरे से पांचवें उदर खंडों में अधर तल पर जेबनुमा मोम ग्रंथियाँ (pocket like wax glands) होती है।
  • श्रमिक मक्खियाँ बन्ध्य मादा (sterile females) हैं। ये निषेचित अण्डे से विकसित होती है। अधिक कार्य और व्यस्त जीवन के कारण श्रमिक मक्खी का जीवन काल कुल 6-8 सप्ताह का होता है।

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