राजस्थान सामान्य ज्ञान : कृषि

 

 

परम्परागत कृषि विकास योजना

  • जैविक खेती में पर्यावरण आधारित न्यूनतम लागत तकनीक के प्रयोग से रसायनों एवं कीटनाशकों का प्रयोग कम करते हुए कृषि उत्पादन किया जाता है। 2015-16 से क्रियान्वित।
  • राष्ट्रीय टिकाऊ खेती मिशन (एन.एम.एस.ए.) के अन्तर्गत मृदा स्वास्थ्य प्रबन्धन का ही विस्तार परम्परागत कृषि विकास योजना है।
  • परम्परागत कृषि विकास योजना के अन्तर्गत कलस्टर एवं प्रमाणन के माध्यम से जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जाता है।
  • भारत सरकार के द्वारा वित्त पोषण पैटर्न को 60 प्रतिशत केन्द्रीयांश एवं 40 प्रतिशत राज्यांश किया गया है।

प्रधामंत्री फसल बीमा योजना :-

  • राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (NAIS) और संशोधित कृषि बीमा योजना (MNAIS) को रबी 2015-16 के बाद बंद कर किसानों को अधिक सुरक्षा देने के लिए 2016 से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) शुरू की जा रही है।
  • यह योजना प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 15 जनवरी, 2016 को जारी की है। 13 जनवरी, 2016 को इसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी।
  • इसमें सभी खरीफ फसलों पर 2% प्रीमियम, सभी रबी फसलों पर 1.5% प्रीमियम तथा वाणिज्यिक व बागवानी फसलों के लिए 5% प्रीमियम होगा। शेष प्रीमियम सरकार वहन करेगी।
  • यह नई बीमा योजना ‘एक राष्ट्र-एक योजना थीम (One Nation-One Scheme Theme) के अनुरूप है।
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भारतीय कृषि बीमा कम्पनी लि. (AIC-Agriculture Insurance Company of India Ltd.) द्वारा संचालित की जा रही है।

राजस्थान में खाद्य सुरक्षा अधिनियम -: 02 अक्टुम्बर 2013

किसान क्रेडिट कार्ड योजना -: 29 जनवरी 1999

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई परियोजना :

  • यह योजना वर्ष 2015-16 में आरम्भ हुई।
  • यह योजना 1 जुलाई, 2015 को शुरू की गई।
  • इसमें केन्द्र व राज्य का 60:40 का अंश है।
  • इसके अंतर्गत सुनिश्चित सिंचाई के लिए स्त्रोतों का सृजन करना।
  • हर बूँद के उपयोग से अधिक फसल हो तथा ‘जल संचय’ एवं ‘जल सिंचन’ के माध्यम से माइक्रो लेवल पर जल संचयन करने का लक्ष्य है।
  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजनान्तर्गत वर्तमान में संचालित योजनाओं का समावेश किया गया है जैसे- त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (ए.आई. बी.पी.), समन्वित जलग्रहण प्रबन्ध कार्यक्रम (आई. डबल्यू.एम.पी.) तथा ऑन फार्म जल प्रबन्ध (ओ.एफ.डबल्यू. एम.)आदि।
  • नारा – ‘हर खेत को पानी प्रति बूंदअधिक फसल

मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Care) :

  • यह योजना 19 फरवरी, 2015 को सूरतगढ़ (गंगानगर, राजस्थान) में प्रारंभ हुई।
  •  इस योजना का उद्देश्य देशभर में कृषि क्षेत्र में मिट्टी की सेहत पर ध्यान देकर मिट्टी को आवश्यक पोषण उपलब्ध कराना है। ताकि मिट्टी की उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा सके।
  • इस योजना के तहत् प्रत्येक किसान को कृषि भूमि की मिट्टी की जांच  हेतु कार्ड उपलब्ध कराये जायेंगे, जिसमें मिट्टी की उत्पादकता से जुड़ी जानकारियों के साथ भूमि में उर्वरकों के समुचित उपयोग संबंधी सलाह भी उपलब्ध करायी जायेगी। इस कार्ड का 3 वर्ष के अंतराल पर नवीनीकरण किया जा सकेगा।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजनासूक्ष्म सिंचाई (PMKSY-M.I.)

  • फसल उत्पादकता बढ़ाने एवं पानी को बचाने के लिए लघु  सिंचाई पद्धति में ड्रिप एवं फव्वारा सिंचाई, प्रभावी जल प्रबंधन की व्यवस्था है।
  • भारत सरकार द्वारा इन पद्धतियों के समुचित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अन्तर्गत सूक्ष्म सिंचाई योजना प्रांरभ की गई है।
  • इसमें सभी श्रेणी  के कृषकों के लिए केन्द्रीय एवं राज्य सरकार का अनुपात 60 : 40 है।
  • दिसंबर,2016 तक 3748 हैक्टेयर क्षेत्र में फव्वारा सिंचाई एवं 6,235 हैक्टेयर क्षेत्र में ड्रिप संयंत्रों  की स्थापना की गई है।

ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट (ग्राम)

  • ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट 9-11 नवम्बर, 2016 को जयपुर एग्जिबिशन एण्ड कन्वेंशन सेन्टर (जे.ई.सी.सी.), सीतापुरा, जयपुर में हुआ। इस आयोजन में कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों में लगभग रु. 4400 करोड़ के निवेश के 38 एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित किए गए।
  • इस सम्मेलन में इजराइल ने पार्टनर देश के रूप में भाग लिया, जबकि नीदरलैंड ईरान, कजाकिस्तान, पापुआन्यूगिनी, नाईजीरिया, एवं जापान आदि देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में लगभग 58000 किसानों ने भाग लिया।

कृषि विपणन (Agriculture Marketing)

  • राज्य के कृषकों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने अच्छी विपणन की सुविधा उपलब्ध कराने तथा राज्य में मंडी नियामक एवं प्रबंधन को प्रभावी ढंग से लागू करने हेतु कृषि विपणन निदेशालय कार्यरत है।
  • राज्य में ‘सुपर‘, ‘अ‘ एवं ‘ब‘ श्रेणी की मंडियों में अपनी उपज विक्रय करने हेतु आने वाले कृषकों को सस्ती दर पर गुणवत्ता भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 2014 मे शुरु किसान कलेवा योजना प्रांरभ की गई है।
  • 21 चयनित कृषि उपज मंडी समितियों में तेल परीक्षण प्रयोगशालाएं कार्य कर रही है।

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