अधिवृक्क ग्रन्थि (Adrenal Gland) :
- यह ग्रन्थि वृक्क के ऊपरी भाग पर स्थित होती है।
- इस ग्रन्थि का बाहरी भाग कोर्टेक्स व बीच वाला भाग मेडुला कहलाता है।
- कोर्टेक्स के विकृत हो जाने पर उपापचयी प्रक्रमों में गड़बड़ी उत्पन्न हो जाती है, इस रोग को एडीसन रोग कहते हैं।
- मेडुला से आपातकालीन हार्मोन एड्रीनेलीन स्रावित होता है।
- एड्रीनेलीन हार्मोन को‘करो या मरो हार्मोन‘ भी कहा जाता है क्योंकि यह क्रोध, डर, मानसिक तनाव, आवेश की स्थिति में अत्यधिक मात्रा में स्रावित होता है।
पीनियल ग्रन्थि : यह पियूष ग्रन्थि के पीछे मस्तिष्क में स्थित होती है।
- इस ग्रन्थि कोतीसरी आंख या बायोलोजिकल घड़ी भी कहते हैं।
- यह प्रकाश में प्रभावित होती है।
- यह मिलेटोनीन हार्मोन स्रावित करती है जिससे मिलेनिन वर्णक पाया जाता है जो त्वचा के रंग के लिये जिम्मेदार है
अग्नाशय ग्रन्थि : यह आमाशय के लिये पायी जाती है।
- अग्नाशय में विशेष कोशिकाओं के समूह होते हैं, जिन्हें लैंगरहैंस द्वीप कहते हैं।
- यह दो प्रकार के हार्मोन स्रावित करते हैं- इन्सुलिन एवं ग्लुकागोन।
- इन्सुलिन रूधिर में ग्लूकोज की मात्रा को कम करके नियंत्रित करता है।
- ग्लूकागोन रूधिर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ाता है तथा नियंत्रित करता है।
जनन ग्रन्थियाँ : अण्डाशय मादा जनन ग्रन्थि का महत्वपूर्ण अंग है जिससे एस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रेरॉन उत्पन्न होते हैं।
- वृषण नर जनन तंत्र का महत्वपूर्ण अंग है जिससे टेस्टोस्ट्रेरॉन हार्मोन उत्पन्न होते हैं।
- थाइमस ग्रन्थि वक्ष में स्थित, इसे प्रतिरक्षण ग्रन्थि या इम्युन ग्रन्थि भी कहते हैं। ये बच्चो में प्रतिरक्षण उत्पन्न करती है।
- मानव शरीर में सबसे बड़ी ग्रन्थि – यकृत तथा शरीर की दूसरी बड़ी गन्थि – अग्नाशय।
- शरीर की सबसे बड़ी अन्तःस्रावी ग्रन्थि – अवटु (थायरॉइड) ग्रन्थि।
- शरीर की सबसे छोटी अन्तःस्रावी ग्रन्थि – पीयूष (मास्टर) ग्रन्थि।
- सुपर मास्टर (हेड मास्टर) ग्रन्थि का नाम – हाइपौथैलेमस।
- शरीर में ताप का नियमन मस्तिष्क के हाइपोथैलेमस नामक अंग से होता है।
हार्मोन
- हार्मोन या ग्रन्थिरस या अंतःस्राव जटिल कार्बनिक पदार्थ हैं जो सजीवों में होने वाली विभिन्न जैव-रसायनिक क्रियाओं, वृद्धि एवं विकास, प्रजनन आदि का नियमन तथा नियंत्रण करता है। ये कोशिकाओं तथा ग्रन्थियों से स्रावित होते हैं। हार्मोन साधारणतः अपने उत्पत्ति स्थल से दूर की कोशिकाओं या ऊतकों में कार्य करते हैं इसलिए इन्हें ‘रासायनिक दूत’ भी कहते हैं। इनकी सूक्ष्म मात्रा भी अधिक प्रभावशाली होती है। इन्हें शरीर में अधिक समय तक संचित नहीं रखा जा सकता है अतः कार्य समाप्ति के बाद ये नष्ट हो जाते हैं एवं उत्सर्जन के द्वारा शरीर से बाहर निकाल दिए जाते हैं।
यह विभिन्न प्रकार के होते हैं-
- कार्टिसोल– कार्टिसोल एड्रेनल ग्रंथि में पाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हार्मोन है। एड्रेनल में थकान कोर्टिसोल के असंतुलन के कारण होती है। एड्रेनल थकान मुख्य रूप से एक मस्तिष्क तनाव की समस्या है। इसके असंतुलन से नींद आना, चक्कर आना, नाखूनों का कमजोर होना, रक्त में सुगर की मात्रा का बढ़ना और वजन का बढ़ना जैसी समस्यायें हो सकती हैं।
- थायरायड– आपके शरीर की हर कोशिका को ढंग से काम करने के लिए और स्वस्थ्य रखने के लिए थायराइड हार्मोन की जरूरत है। थायराइड ग्रंथि एक ऐसे हार्मोन का निर्माण करती है जो शरीर के ऊर्जा के प्रयोग की कार्यविधि को प्रभावित करता है। इसकी कमी से डिप्रेशन, मानसिक सुस्ती, कब्ज, त्वचा का रूखा होना, नींद ज्यादा आना और बालों के गिरने जैसी समस्यायें हो जाती हैं।
- एस्ट्रोजन– एस्ट्रोजन के तीन रूप एस्ट्रोन (E1), एस्ट्राडियोल (E2) और एस्ट्रियोल (E3) का सही अनुपात महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। शोध के अनुसार एस्ट्रोजन का स्तर बिगड़ने से हृदय संबंधी बीमारियां (कैंसर) भी हो सकता है। एस्ट्रोजन की कमी के कारण योनि में सूखापन, सेक्स के समय दर्द, मूत्राशय में संक्रमण और डिप्रेशन की समस्यायें होती हैं। इसकी अधिकता से अनिद्रा, माइग्रेन, तेजी से वजन का बढ़ना, पित्ताशय से जुड़ी समस्यायें और महिलाओं में माहवारी के समय अधिक रक्त स्त्राव की समस्यायें हो जाती है।
- प्रोजेस्टेरोन–पुरुषों और महिलाओं दोनों में स्वस्थ प्रोजेस्टेरोन संतुलन की जरूरत होती है। प्रोजेस्टेरोन, अतिरिक्त एस्ट्रोजन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करता है। अच्छे प्रोजेस्टेरोन के बिना, एस्ट्रोजन हानिकारक और नियंत्रण से बाहर हो जाता है। इसकी कमी से अनिद्रा, स्तनों में दर्द, वजन बढ़ना, सिर दर्द, तनाव और बांझपन जैसी समस्यायें हो सकती हैं।
- टेस्टोस्टेरोन– पुरुषों और महिलाओं दोनों में कम टेस्टोस्टेरोन आमतौर पर व्यवहार में देखा जा सकता है। कई वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया कि महिलाओं में कम टेस्टोस्टेरोन की वजह से सेक्स के प्रति अनिच्छा, हृदय रोग, और स्तन कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है। इनके मुताबिक कम टेस्टोस्टेरोन के कारण मनुष्य मृत्यु दर में भी बढ़ोत्तरी देखी गयी है। टेस्टोस्टेरोन की अधिकता से मुँहासे, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, चेहरे और हाथ पर अत्यधिक बाल, हाइपोग्लाइसीमिया, बालों का झड़ना, बांझपन और डिम्बग्रंथि अल्सर जैसी समस्यायें हो सकती हैं। जबकि इसकी कमी वजन बढ़ना, थकान, चिड़चिड़ापन और शीघ्रपतन जैसी समस्याओं का कारण बनता है।
- लेप्टिन– लेप्टिन हार्मोन का उत्पादन वसा कोशिकाओं द्वारा किया जाता है। लेप्टिन का एक प्रमुख काम ऊर्जा के लिए शरीर की वसा भंडार का उपयोग करने के लिए दिमाग को निर्देश देना है। इसकी कमी से दिमाग में प्रोटीन की कमी हो जाती है और नसों से जुड़े कार्यों पर भी प्रभाव पड़ता है। यह घ्रेलिन नामक भूख दिलाने वाले हार्मोन के कार्य को प्रभावित करता है जिससे आपको लगातार खाने की इच्छा होती रहती है और ज्यादा खाने की वजह से मानव शरीर मोटा हो जाता है।
- इन्सुलिन– इन्सुलिन हार्मोन हमारे खून में ग्लूकोज के स्तर को नियमित करता है और अगर यह बनना कम हो जाता है तो इसकी कमी से हमारे खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है और यह स्थिति ही डायबिटीज पैदा करती है। जब भी हमारे रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ती है तो यह अग्नाशय ग्रंथि को बताता है कि वो इन्सुलिन हार्मोन को स्त्रावित करेंद्य इन्सुलिन हार्मोन की कमी से डायबिटीज, थकान, अनिद्रा, कमजोर स्मृति और तेजी से वजन बढ़ना जैसी समस्यायें हो सकती है।
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