मनुष्य में अन्तःस्त्रावी ग्रंथियां एवं हार्मोन्स
- अन्तःस्रावी तंत्र में कई विशेष प्रकार की ग्रन्थियां होती हैं जिनसे हार्मोन का स्राव होता है।
- हार्मोन एक विशिष्ट यौगिक होते हैं, जो शरीर की विभिन्न जैविक गतिविधियों के लिए आवश्यक होता है। ये मुख्यतः अमीनो अम्ल, कैटेकोलेमीन्स, स्टीरायड्स व प्रोटीन के होते हैं।
- जिन ग्रन्थियों से स्रावित हार्मोन अंगों तक नलिकाओं द्वारा पहुंचता है, उसे बहिःस्रावी ग्रन्थियां कहते हैं। जैसे- दुग्ध ग्रन्थि, लार ग्रन्थि, अश्रु ग्रन्थि इत्यादि।
- जिन ग्रन्थियों से स्रावित हार्मोन अंगों तक बिना नलिकाओं अर्थात् रक्त प्लाज्मा के द्वारा पहुंचता है, उन्हें अन्तःस्रावी ग्रन्थियां कहते हैं। जैसे- पीयुष ग्रन्थि, अवटु ग्रन्थि, अधिवृक्क (Adeenal) ग्रन्थि इत्यादि।
अग्नाशय एक अन्तःस्रावी व बहिःस्रावी दोनों प्रकार की ग्रन्थि होती है।
पीयूष ग्रन्थि : इसे मास्टर ग्रन्थि भी कहते हैं।
- इससे स्रावित STH हार्मोन की अधिकता से भीमकायत्व विकार उत्पन्न होता है, जिसमें मनुष्य की लम्बाई सामान्य से अधिक बढ़ जाती है। इसकी कमी से मनुष्य में बौनापन होता है।
- ऑक्सीटोमिन हार्मोन पीयूष ग्रन्थि के पश्च भाग द्वारा स्रावित होता है जो प्रसव पीड़ा व स्तन से दुग्ध स्राव में भी सहायक है।
अवटु ग्रन्थि (थॉयराइड) : यह ग्रन्थि श्वासनली के दोनों ओर अधर तल पर स्थित होती है।
- इस ग्रन्थि से थायरॉक्सीन हार्मोन उत्पन्न होता है इसमें आयोडिन उपयुक्त मात्रा में होती है।
- थायरॉक्सीन हार्मोन शरीर में होने वाली उपापचयी क्रियाओं पर नियंत्रण करता है।
- थायरॉक्सीन हार्मोन की अधिकता से शरीर के तापक्रम में वृद्धि के साथ-साथ हृदय दर में भी वृद्धि हो जाती है।
- थायरॉक्सीन की अधिकता से एक्सौप्थैलमिया (नेत्रोत्सेंध) रोग हो जाता है, जिसमें आंख फूलकर बाहर निकल आती है।
- थायरॉक्सीन की कमी से बच्चे में जड़मानवता एवं यौवानावस्था में मिक्सीडिमा रोग हो जाता है।
- थायरॉक्सीन हार्मोन की कमी से भोजन में आयोडीन की कमी हो जाती है, जिससे घेंघा रोग हो जाता है।
पैराथायरॉइड ग्रन्थि : पराअवटु।
- यह थायरॉइड ग्रन्थि के साथ ही स्थित होती है। इनकी संख्या 4 होती है।
- इससे स्रावित हार्मोन पैराथॉरमोन है, जो रूधिर में कैल्सियम के स्तर का नियंत्रण करता है।
- पैराथॉरमोन हार्मोनविटामिन D के विपरीत कार्य करता है।Pages: 1 2